भारत में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के बीच क्या होगी बात
९ अक्टूबर २०१९एशिया के दो प्रमुख देशों के नेताओं की मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है जब कश्मीर को लेकर कुछ तनाव की स्थिति है. हालांकि 11-12 अक्टूबर की मुलाकात में दोनों नेता आपसी संबंधों को बढ़ाने पर बात करेंगे जिसकी शुरुआत पिछले साल चीन के वुहान में मुलाकात से शुरू हुई थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवकात गेंग शुआंग ने मंगलवार को कहा,"दोनों देशों के नेताओं की पिछले साल हुई मुलाकात के बाद भारत और चीन के संबंध अच्छी रफ्तार से आगे बढे हैं. दोनों पक्षों ने कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया है और आपसी मतभेदों और संवेदनशील मुद्दों को सही तरीके से निपटाया है."
पिछले साल की मुलाकात डोकलाम में दोनों देशों की सेना के बीच सीमा विवाद पर तनातनी के बाद हुई थी. दोनों नेताओं की बातचीत पर जम्मू कश्मीर के साथ ही, अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैन्य अभ्यास और पाकिस्तान को चीन के कूटनीतिक सहयोग का असर रह सकता है. जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और उसे दो हिस्से में बांटने के फैसले की पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ ही चीन ने भी कड़ी आलोचना की है. चीन के सहयोग से इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान अनौपचारिक चर्चा करवाने में भी कामयाब हुआ. हालांकि इस चर्चा से कोई बड़ी बात निकल कर सामने नहीं आई.
कश्मीर में चीन की दिलचस्पी के एक वजह ये भी है कि वह लद्दाख के एक हिस्से पर भी दावा करता है. इसलिए जम्मू कश्मीर का विभाजन कर लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित राज्य बनाए जाने के बाद चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. चीन ने कहा भारत ने , "चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को अपने घरेलू कानून में बदलाव कर एकतरफा चुनौती देना जारी रखा है. पिछले महीने चीन और भारत के सैनिकों के बीच लद्दाख में पांगोंग त्सो लेक के किनारे पर झड़प होने की भी खबर आई थी. इसके दो तिहाई हिस्से का नियंत्रण चीन के पास है, 2017 में भी दोनों देशों के सैनिकों ने एक दूसरे पर पथराव किया था.
भारत का कहना है कि जम्मू कश्मीर देश का आंतरिक मामला है और वहां की स्थिति में बदलाव राज्य में आर्थिक प्रगति को तेज करने के मकसद से किया गया है. भारत का भी दावा है कि लद्दाख का जो हिस्सा चीन के पास है वह भारत का है. हालांकि चीन का कहना है कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर में किसी भी एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए. इसके साथ ही चीन ने कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर चिंता जताई है. भारत इन चिंताओं को खारिज करता है.
भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "आने वाले दिनों में चेन्नई की अनौपचारिक बातचीत दोनों नेताओं को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचारों को साझा करने और भारत चीन के बीच विकास की भागीदारी को और गहरा करने का मौका देगी." दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में चायनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडपल्ली का कहना है, "इस तरह की दूसरी अनौपचारिक बातचीत काफी अहम है, खासतौर से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं. दोनों देशों के सामने कई मुद्दे हैं और ऐसे में आपसी रिश्तों में स्थिरता बेहद जरूरी है."
दोनों नेताओं की मुलाकात में उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी कई आर्थिक मुद्दों को उठाएंगे. इनमें चीन के साथ भारत के 53 अरब डॉलर के व्यापार घाटे के साथ ही चीन में दूसरे देशों की तुलना में कम भारतीय कंपनियों की मौजूदगी पर भी बात होगी. दूसरी तरफ चीन की ओर से यह कहा जा सकता है कि वह चीनी टेलिकॉम कंपनी हुआवे के मामले में अमेरिकी प्रतिबंधों के असर में ना आए और स्वतंत्र रूप से विचार करे. हुआवे भारत में 5जी मोबाइल नेटवर्क में निवेश करना चाहती है. अमेरिका हुआवे को सुरक्षा के लिए खतरा बताता है.
शी जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले चीन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के लिए बुलाया था. चीन पाकिस्तान का बड़ा मददगार है. मंगलवार को प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के बाद चीन के प्रधानमंत्री ली केचियांग ने कहा कि चीन पाकिस्तान की स्वतंत्र संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता की सुरक्षा में मदद करता है.
चीन और भारत के बीच हजारों किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है और सीमा विवाद में दोनों 1962 में एक सीमित युद्ध भी कर चुके हैं. हाल के वर्षों में भारत अमेरिका के करीब गया है और अपने सैन्य संबंधों को मजबूत किया है. माना जाता है कि दुनिया में चीन के बढ़ते महत्व का मुकाबला करने के लिए अमेरिका भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत कर रहा है. भारत ने हाल ही में चार देशों के उस गुट (क्वाड) में भी अपनी भागीदारी बढ़ाई है जिसमें उसके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. विश्लेषक इस गुट को चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने का जरिया मानते हैं खासतौर से एशिया प्रशांत क्षेत्र में.
दोनों नेताओं के पास आपस में बात करने के लिए विवादों के साथ ही सहयोगों की भी एक बड़ी सूची है. दोनों मुल्कों की संयुक्त आबादी 2.7 अरब से ज्यादा है यानि कि पूरी दुनिया की करीब एक तिहाई. जाहिर है कि इस मुलाकात पर भारत, चीन और उनके पड़ोसियों के साथ ही पूरी दुनिया की नजर रहेगी.
एनआर/एमजे(रॉयटर्स, एएफपी)
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