भारत लीबिया में सैनिक हस्तक्षेप के खिलाफ
४ मार्च २०११द हिंदू अखबार के साथ बात करते हुए भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा कि भारत फिलहाल उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र के पक्ष में नहीं है और वह ताकत के प्रयोग के खिलाफ है. उन्होंने कहा, "ब्रिक देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन) की ओर से इस सिलसिले में कई सवाल उठाए गए हैं और संदेह व्यक्त किया गया है." सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य की हैसियत से भारत के रुख के बारे में सवाल का जवाब देते हुए विदेश सचिव ने ये बातें कही.
भारत ने गद्दाफी शासन द्वारा जनता पर किए जा रहे हमलों की निंदा की है और वहां फंसे अपने लगभग 18 हजार नागरिकों को बाहर निकालने में लगा हुआ है. अब तक 7,200 नागरिकों को वहां से हटाने में सफलता मिली है, जबकि इसी अवधि में चीन अपने 36 हजार नागरिकों के अलावा अन्य देशों के दो हजार नागरिकों को भी लीबिया से बाहर ला चुका है. निरुपमा राव ने कहा कि इस सवाल पर चीन के साथ भारत की तुलना दुर्भाग्यपूर्ण है.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुरुवार को कहा था कि वे लीबिया के खिलाफ सभी सैनिक उपायों पर विचार कर रहे हैं. इससे पहले एक मंगलवार को एक सांकेतिक प्रस्ताव पारित करते हुए अमेरिकी सीनेट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लीबिया में उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने पर विचार करने की अपील की थी. फ्रांस के विदेश मंत्री ऐलेन जुप ने भी कहा है कि फ्रांस और ब्रिटेन एक ऐसे क्षेत्र के पक्ष में हैं.
दूसरी ओर, अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने ध्यान दिलाया है कि उड़ानों पर कारगर प्रतिबंध के लिए लीबियाई राडार प्रणालियों को नष्ट करना पड़ेगा और इसका मतलब युद्ध का एक नया मोर्चा होगा. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने भी लीबिया में अंतरराष्ट्रीय सैनिक हस्तक्षेप का विरोध किया है.
इसी बीच वेनेजुएला के राष्ट्रपति हूगो चावेज की ओर से लीबिया के मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की भी कोशिश शुरू की गई है. चावेज गद्दाफी के मित्र माने जाते हैं और उन्होंने कहा है कि गद्दाफी लीबिया में संकट के समाधान के लिए मध्यस्थता आयोग के गठन पर राजी हैं. उन्होंने कहा कि ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति लूला दा सिलवा की अध्यक्षता में एक शांति आयोग का गठन किया जा सकता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एस गौड़