भूख योग से सरकार के विकार दूर करेंगे बाबा
३ जून २०११भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे पर सत्याग्रह का एलान कर चुके रामदेव को केंद्र सरकार के नुमाइंदे चार घंटे तक मनाने की कोशिश करते रहे. कपिल सिब्बल और सुबोध कांत सहाय ने उनसे काफी लंबी चौड़ी बातचीत की. दोनों नेताओं की कोशिश थी कि रामदेव शनिवार से अनशन पर न बैठें. बातचीत के बाद बाबा रामदेव ने कहा, "हम अभी तक किसी समझौते पर नहीं पहुंचे हैं और मैं कल से अनशन पर बैठूंगा."
बातचीत बेनतीजा रहने के बाद रामदेव राजघाट गए और महात्मा गांधी की समाधि पर प्रार्थना की. वार्ताकार कपिल सिब्बल सीधे प्रधानमंत्री आवास की तरफ दौड़े. सिब्बल ने कहा, "प्रगति को लेकर हम काफी खुश हैं. ऐसी चीजों को एक दिन में नहीं सुलझाया जा सकता है." सिब्बल के संकेतों से लग रहा है कि सरकार और योग गुरु के बीच आगे भी बातचीत होती रहेगी.
बाबा की मांगें
रामदेव की मांग है कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को भारत लाया जाए. भारतीयों के काले धन को वह देश की संपत्ति बता रहे हैं. उनकी यह भी मांग है कि भ्रष्टाचार करने वालों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. भ्रष्टाचार को भारत का नबंर एक दुश्मन बताने वाले रामदेव को लाखों आम लोगों का समर्थन भी मिल रहा है. योग की वजह से रामदेव पहले से ही चर्चित हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी ताजा मुहिम ने उन्हें लोगों के और करीब ले जा रही है. यही वजह है कि सरकार भी तनाव में आ गई है.
अपने अनशन को सत्याग्रह का नाम दे रहे रामदेव अपनी मुहिम को राजनीति से परे बता रहे हैं. वहीं दक्षिणपंथी संगठन राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने योग गुरु का समर्थन किया है. आरएसएस ने अपने स्वंयसेवकों से रामदेव के अनशन में शामिल होने को कहा है. लेकिन सूचना अधिकार से जुड़े कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा, "रामदेव ने कहा है कि वहां आरएसएस से कोई नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि कोई राजनीतिक तत्व आंदोलन से नहीं जुड़ेगा और न ही मंच पर मौजूद होगा."
सरकार की मुश्किल
अप्रैल में लोकपाल बिल को लेकर अनशन पर बैठने वाले गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी रामदेव के सत्याग्रह को समर्थन दिया है. हजारे रविवार से रामदेव के साथ सत्याग्रह पर बैठेंगे. हालांकि अन्ना हजारे ने बाबा को सरकार की चालों से बचने की सलाह भी दी है. हजारे के मुताबिक सरकार, "वे बाबा रामदेव को भी धोखा देंगे. ऐसे में इतने लोगों के वहां जाने की क्या जरूरत है."
वहीं इस मुद्दे को लेकर सरकार मुश्किल में आ गई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वरिष्ठ मंत्रियों और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संपर्क में हैं. अप्रैल के बाद दूसरी बार सरकार अग्नि परीक्षा का सामना कर रही है. भ्रष्टाचार से आम भारतीय दुखी है लेकिन नेता हैं कि आम आदमी की गंभीरता और झल्लाहट अब भी नहीं समझ पा रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार