भूमध्यसागर में जर्मन नौसेना
जनवरी से जर्मन नौसेना का फ्रैंकफर्ट अम माइन पोत यूरोपीय संघ के सोफिया अभियान के तहत शरणार्थियों को बचाने के लिए भूमध्यसागर में तैनात है. शरणार्थी न भी दिखें फिर भी उनके लिए करने को बहुत कुछ होता है.
मुश्किल मिशन
फ्रैंकफर्ट अम माइन जर्मन नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है. इस समय वह एक मुश्किल मिशन पर भूमध्यसागर में तैनात है. मिशन है यूरोपीय संघ के सोफिया अभियान के तहत अवैध शरणार्थियों को रोकना और विपदा में फंसे शरणार्थियों को बचाना.
सागर पर नजर
युद्धपोध पर सेना के जवान हमेशा पहरे पर होते हैं और सागर में आने जाने वाली हर नाव पर नजर होती है. तैनाती के इलाके की निगरानी सैनिक रडार की मदद से भी करते हैं. मॉनिटर पर दिखने वाला हर ऑबजेक्ट शरणार्थी को ला रही नाव नहीं होती.
हेल्थ चेक
समुद्र की लहरें काफी तेज हैं. इस समय शरणार्थियों वाली नाव सफर पर नहीं निकलती. सैनिक इस दौरान दूसरे काम निबटाते हैं. मसलन ये जवान कान का रूटीन टेस्ट करा रहा है. युद्धपोत पर तैनात हर सैनिक की नियमित चिकित्सीय जांच होती है.
डॉक्टर, बेकर और पादरी
कमांडर आंद्रेयास श्मेकेल (दाएं) के नेतृत्व में पोत पर 200 लोग तैनात हैं. वे कई महीने पोत पर रहते हैं. उनमें आम नौसैनिकों के अलावा डॉक्टरों की टीम है, खाना बनाने के लिए कुक हैं, बेकरी चलाने के लिए बेकर हैं और धार्मिक जरूरतों के लिए एक पादरी भी है.
उस घड़ी की तैयारी
किसी को पता नहीं कि संकट में फंसी शरणार्थियों की नाव कब दिख जाए. इसलिए नौसैनिक उस स्थिति के लिए तैयार रहते हैं. यहां बल्ब की जांच हो रही है. यहीं शरणार्थियों की तलाशी ली जाएगी, चिकित्सीय जांच होगी और खाना पीना मिलेगा.
सैनिकों का रोजमर्रा
जब बोर्ड पर शरणार्थी नहीं होते तो वहां तैनात जवान ट्रेनिंग करते हैं. वे हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग करते हैं, हालांकि भूमध्य सागर के मिशन पर उसकी जरूरत नहीं है. ट्रेनिंग में मौसम के बारे जानना, आग बुझाना और छेद भरना भी शामिल है.
साफ सफाई
पहरे और ट्रेनिंग के अलावा ज्यादातर जवानों को सफाई और किचन की ड्यूटी भी करनी होती है. हर दिन साम चार बजे पूरे जहाज की एक घंटे तक सफाई होती है. कंपास से लेकर सीढ़ियों तक को टिपटॉप रखा जाता है. इसके बाद भी जवानों को आराम का समय नहीं मिलता.
पड़ोस के मेहमान
भूमध्यसागर में होने के बावजूद कभी कभी पड़ोसी भी मिलने आ जाते हैं. जर्मन फ्रिगेट कार्ल्सरूहे और इटैलियन विमानवाही पोत केवुर मिलजुलकर एक साथ चलने का अभ्यास कर रहे हैं. इसके लिए स्टीयरिंग संभालने वाले जवान और ब्रिज क्रू को बहुत सावधान रहना होता है.
सप्लाई पोत भी
फ्रैंकफर्ट अम माइन युद्धपोत सप्लाई पोत भी है. तैनाती के दौरान वह छोटे जहाजों को पेट्रोल और पानी की सप्लाई करता है. घायल जवानों की पोत पर स्थित अस्पताल में चिकित्सा होती है. पोत के एक हिस्से में अब समुद्र से बचाए गए शरणार्थियों को रखा जाएगा.
समुद्र में रिफ्यूलिंग
स्पेन का फ्रिगेट नुमांसिया फ्रैंकफुर्ट अम माइन से ईंधन भरवा रहा है. यह काफी मुश्किल काम है क्योंकि दोनों जहाज 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक दूसरे के साथ चल रहे हैं. शक्तिशाली लहरों के बीच तेल भरने के दौरान दोनों जहाजों को एक दूसरे बराबर दूरी बनाकर रखनी होती है.
घर की याद
जिसे घर की याद आती है उसे यहां ब्रिज पर प्रोत्साहन मिलता है. समुद्र पर मोबाइल फोन की सुविधा नहीं होती, लेकिन कुछ हफ्तों पर जहाज किसी न किसी हार्बर पर पहुंचता है. वहां जरूरत का सामान खरीदा जाता है और जवानों को थोड़ा आराम और मस्ती करने का मौका मिलता है.