भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून का मसौदा तैयार
१२ फ़रवरी २०११भारत सरकार ने कुछ समय पहले गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में यह समूह गठित किया था. इसका काम कानून मंत्रालय के प्रस्तावों पर विचार करना था. माना जाता है कि शुक्रवार को हुई बैठक में मंत्री समूह ने इस कानून के मसौदे को आखिरी रूप दे दिया.
वैसे इस मसले पर यह दूसरा समूह बनाया गया था. इससे पहले पिछले साल 17 सितंबर को गठित समूह तो कोई काम नहीं कर पाया. उसकी एक भी बैठक नहीं हुई. दोबारा बनाए गए समूह में कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी नारायणस्वामी शामिल हैं.
क्यों पड़ी जरूरत
सोल में पिछले साल हुए जी20 सम्मेलन के दौरान भारत ने समूह की भ्रष्टाचार निरोधी योजना पर दस्तखत किए थे. इसके तहत भारत को संयुक्त राष्ट्र की संधि को मानना होगा और उसे अपने यहां लागू करना होगा. लेकिन इस मुद्दे पर सरकार के भीतर ही मतभेद खड़े हो गए थे. क्योंकि कुछ मंत्रियों का कहना था कि पहले सरकार को संसद से संधि पास करानी चाहिए उसके बाद कानून बनाने पर काम करना चाहिए. इस वजह से ही मंत्री समूह के गठन की जरूरत पड़ी.
एक विवाद का विषय यह भी है कि निजी क्षेत्र को भ्रष्टाचार निरोधी कानूनों के दायरे में लाया जाना चाहिए या नहीं. यानी निजी क्षेत्र में जो रिश्वत ली या दी जाती है उसे अपराध माना जाना चाहिए या नहीं.
यूएन की संधि के मुताबिक इस पर दस्तखत करने वाले देशों के भ्रष्ट नागरिक, जिनमें निजी क्षेत्र के व्यापारी भी शामिल हैं, सजा के हकदार होंगे. उनके खिलाफ मामले की जांच में भारतीय एजेंसी बाकी सदस्य देशों की मदद ले सकती है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः उभ