मधुमक्खियों के लिए घातक कीटनाशकों पर बैन
२७ अप्रैल २०१८यूरोपीय संघ के 28 देशों के प्रतिनिधियों ने बहुमत से भंवरों और मधुमक्खियों के लिए हानिकारक कीटनाशकों पर बैन लगाने का फैसला किया. इस वोटिंग के बाद 2018 के अंत में यूरोपीय संघ में ऐसे कीटनाशकों का इस्तेमाल प्रतिबंधित हो जाएगा. यूरोपीय संघ में 2013 में ऐसे कीटनाशकों पर आंशिक प्रतिबंध लगाया गया था.
इस मुद्दे को लेकर अवाज नाम के ग्रुप ने जोरदार अभियान छेड़ा गया था. अवाज की एंटोनिया स्टाट्स ने प्रतिबंध के फैसले को बड़ी कामयाबी बताते हुए कहा, "आखिरकार हमारी सरकारें सुन रही हैं."
विनाश का संकेत है कीटों की घटती संख्या
बीते सालों में दुनिया भर में भंवरों और मधुमक्खियों की संख्या चिंताजनक रूप से कम हुई है. इसका सीधा असर फसलों और फलों के उत्पादन पर पड़ा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो परागण के अभाव में खाद्य संकट खड़ा हो सकता है. तितलियां, मधुमक्खियां, भंवरे और कई दूसरे कीट पतंगे प्राकृतिक रूप से परागण का काम करते हैं.
यूरोपीय संघ के मुताबिक वैज्ञानिक समीक्षा के बाद ऐसे कीटनाशकों का पता चला जो इन कीटों की घटती आबादी के लिए जिम्मेदार हैं. यूरोपीय संघ के फैसले से स्विट्जरलैंड की एग्रीबिजनेस कंपनी सिनजेंटा परेशान हो गई है. प्रतिबंध पर निराशा जताते हुए सिनजेंटा ने कहा, "सबूत साफ तौर पर दिखाते हैं कि भोजन की कमी, बीमारी और ठंडे मौसम की तुलना में नियोनिकोटिनॉयड्स मक्खियों की सेहत को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं."
लेकिन बाकी पक्ष सिनजेंटा के तर्क को खारिज कर रहे हैं. ससेक्स यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के प्रोफेसर डैव गॉलसन कहते हैं, "लैब और खेतों में हुए शोधों से ऐसे ढेरों सबूत मिले हैं जो साबित करते हैं कि नियोनिकोटिनॉयड्स तितलियों, एक्वेटिक कीटों और कीट खाने वाले पक्षियों की घटती संख्या के लिए जिम्मेदार हैं. यूरोपीय संघ का फैसला तार्किक है."
वोटिंग के बाद अब यूरोपीय कमीशन आगामी हफ्तों में फैसले को अमल में लाएगा. 2018 के अंत में बैन लागू हो जाएगा. बैन किए जाने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल सिर्फ ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस कहे जाने वाले फॉर्मों के भीतर किया जा सकेगा. वहां मक्खियां नहीं होतीं.
ओएसजे/एमजे (एपी)