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मनमोहन सिंह ने ओबामा से बात की

१० मई २०११

पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के एक हफ्ते बाद भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत की. दोनों नेताओं ने क्षेत्र के हालात पर चर्चा की.

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U.S. President Barack Obama, left, and Indian Prime Minister Manmohan Singh embrace following a joint statement and press conference at Hyderabad House in New Delhi, India, Monday, Nov. 8, 2010. Obama is on a three-day visit to the world's largest democracy.(AP Photo/Saurabh Das)
तस्वीर: AP

प्रधानमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि मनमोहन सिंह और ओबामा के बीच भारत अमेरिका रिश्तों की बेहतरी से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई. लेकिन यह जाहिर नहीं किया गया कि ओसामा बिन लादेन को लेकर कोई बात हुई या नहीं. प्रवक्ता ने कहा, "दोनों के बीच गर्मजोशी से बातचीत हुई जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई."

लादेन के बाद पहली बार

2 मई को अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के नजदीक एबटाबाद में अल कायदा आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. उसके बाद से भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच यह पहली बातचीत है. मनमोहन सिंह ने बिन लादेन को मार गिराए जाने को एक अहम कदम बताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर पाकिस्तान से अपील की है कि सभी आतंकवादी समूहों की गतिविधियों को खत्म करने की दिशा में काम किया जाए.

भारतीय प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि लादेन का खात्मा अल कायदा समेत सभी आतंकवादी संगठनों के लिए बड़ा धक्का साबित होगा.

ओबामा का पाक पर दबाव

सोमवार रात को अमेरिकी राष्ट्रपति से मनमोहन सिंह की बातचीत ओबामा के उस बयान के बाद हुई है जिसमें ओबामा ने कहा था कि हो सकता है पाक सरकार के भीतर से ही कुछ लोग ओसामा बिन लादेन को मदद दे रहे हों.

सीबीएस न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्यू में ओबामा ने कहा, "हमें नहीं पता कि वे लोग कौन हैं. हो सकता है वे लोग सरकार के भीतर ही हों या वे बाहर से भी हो सकते हैं. जरूरी है कि इस बारे में जांच की जाए और सबसे जरूरी है कि पाकिस्तान सरकार को यह जांच करनी होगी."

भारत का आरोप है कि पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी कैंपों में भारत विरोधी आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई पर उनकी मदद के आरोप लगते रहे हैं. ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में पाए जाने से पैदा हुए हालात को भारत अपने पक्ष में इस्तेमाल करने की उम्मीद कर सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एस गौड़

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