"मान लो, हमलों की वजह नस्लवाद ही है"
२३ फ़रवरी २०१०विपक्षी उदारवादी लिबरल पार्टी के नेता टोनी ऐबॉट ने कहा, "हमारी सड़कें सुरक्षित नहीं हैं, ख़ास तौर पर मलबर्न की सड़कें जहां पुलिस की भारी कमी नज़र आती है. अगर आपकी सड़कों पर नस्लवादी हमले नहीं होते, तो आपको जन संपर्क की समस्या नहीं होती. इसलिए हमें मसले की जड़ को पकड़ना होगा." उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार को जन संपर्क मुहिम चलाने की बजाय सड़कों पर और पुलिसकर्मी तैनात करने चाहिए.
ऐबॉट ने विक्टोरिया राज्य की सरकार को जमकर खरी खोटी सुनाई. विक्टोरिया सरकार का कहना है कि वह भारत से 25 पत्रकारों को बुला रही है और उनके इस दौरे पर सवा दो लाख अमेरिकी डॉलर खर्च कर रही है. ऐबॉट का कहना है कि इन पैसों को सड़कों पर पुलिस सेवाएं बेहतर बनाने पर खर्च किया जाए क्योंकि यही मूल समस्या है.
उधर भारतीय छात्र संघ के प्रवक्ता गौतम गुप्ता का कहना है कि भारतीय पत्रकारों को ऑस्ट्रेलिया बुलाना महज़ प्रचार का एक तरीक़ा है. इससे ऑस्ट्रेलिया में रह रहे 90 हज़ार भारतीय छात्र ख़ुद को और सुरक्षित महसूस नहीं करने वाले हैं. विक्टोरिया राज्य के मुख्यमंत्री जॉन ब्रंबी की आलोचना इस वजह से हो रही है कि उन्होंने यह बात मानने से इनकार कर दिया है कि भारतीय छात्रों पर नस्लवादी हमले हो रहे हैं और नस्लवाद इस परेशानी का मूल कारण है. ब्रंबी का कहना है कि भारतीय मीडिया इस तरह की ख़बरों को बढ़ा चढ़ाकर और आक्रमक तरीक़े से पेश करता है.
ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में भारत से पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या घटी है क्योंकि भारतीय अभिभावक मान रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया उनके बच्चों के लिए सुरक्षित जगह नहीं है.
रिपोर्टः डीपीए/ एम गोपालकृष्णन
संपादनः ए कुमार