मुजफ्फरनगर के आश्रम में बच्चों का यौन शोषण
१४ जुलाई २०२०मुजफ्फरनगर के भोपा थाने में स्थित गौड़ीय मठ के मठाधीश भक्ति भूषण गोविंद महराज और उनके शिष्य अखिलेश दास को पुलिस ने नाबालिग बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार किया है. इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने 9 से 12 साल के चार बच्चों के साथ यौन शोषण और मारपीट की. फिलहाल पुलिस ने भक्ति भूषण और उनके शिष्य को जेल भेजकर आश्रम खाली करा लिया है और सभी बच्चों को वहां से निकाल लिया गया है. पुलिस के मुताबिक गौड़ीय मठ आश्रम में भक्ति भूषण और उनके शिष्य 10 बच्चों को पढ़ाते थे. मुजफ्फरनगर की जिलाधिकारी सेल्वाकुमारी जे ने बताया, "ये सभी बच्चे नॉर्थ-ईस्ट राज्यों, खासकर मिजोरम और त्रिपुरा और असम के हैं. मेडिकल रिपोर्ट में चार बच्चों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है. इसके अलावा अन्य बच्चों ने मारपीट की भी शिकायत की है. सभी आरोपों की जांच की जा रही है.”
स्थानीय पुलिस के मुताबिक भक्ति भूषण पर आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक शारीरिक संबंध) और कुछ अन्य धाराओं के अलावा पॉक्सो ऐक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक यह आश्रम 2008 से चल रहा था. आश्रम में दो क्लासरूम, ब्लैकबोर्ड और दो लैपटॉप हैं. आश्रम परिसर में रसोई घर भी है जहां बच्चों के लिए खाना बनता है. आश्रम में एक बड़ा हॉल है जहां सभी बच्चे रहते थे. फिलहाल इसे सील कर दिया गया है. पुलिस के मुताबिक ज्यादातर बच्चों की उम्र 10 से 15 साल के बीच है, जबकि एक की उम्र 18 साल है.
आश्रम में यौन शोषण की जानकारी चाइल्ड हेल्पलाइन पर पिछले हफ्ते आई एक फोन कॉल से हुई. इसके बाद बाल कल्याण समिति के सदस्य और पुलिस की टीम ने आश्रम में छापेमारी की और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन बच्चों ने ही किया था. बच्चों के साथ बाल कल्याण समिति ने पूछताछ की, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. भोपा थाने के इंस्पेक्टर संजीव कुमार का कहना है कि समिति के सदस्यों से बच्चों ने उन्हें प्रताड़ित करने और बेगारी कराने जैसी बातें बताईं. बच्चों का कहना था कि मठ में उनसे बर्तन साफ करने, गोबर उठाने, झाड़ू लगाने और पशुओं को चारा देने जैसे काम कराए जाते थे.
यही नहीं, बच्चों का आरोप है कि उन्हें अश्लील वीडियो दिखाकर उनका यौन शोषण भी किया जाता था. स्थानीय पत्रकार दीपक सिरोही के मुताबिक आश्रम में मुख्य रूप से गोविंद महाराज और उनके शिष्य अखिलेश दास रहते थे और इस काम में दोनों की पूरी सहभागिता रहती थी. दीपक सिरोही बताते हैं कि इस बात की आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी लेकिन इससे पहले किसी बच्चे ने कोई शिकायत नहीं की, तो लोगों को कुछ पता भी नहीं चल सका. बच्चों का आरोप है कि गोविंद महराज और उनके शिष्य की बात नहीं मानने पर उन्हें भूखा रखा जाता था और बेरहमी से पिटाई भी की जाती थी. बाल समिति के सदस्यों से बातचीत में चार बच्चों ने अपनी चोटों के निशान भी दिखाए.
मुजफ्फरनगर की डीएम सेल्वाकुमारी जे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बच्चों से जुड़ा यह मामला बेहद गंभीर है. उनका कहना था, "मुक्त कराए गए बच्चों ने जो आरोप लगाए हैं, प्रारंभिक जांच में उनकी पुष्टि हुई है. मेडिकल चेकअप भी कराया गया. पीड़ित बच्चों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए गए हैं. मुख्य अभियुक्त मठ संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.” स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में भक्ति भूषण गोविंद महाराज ने 2008 में मठ बनाया था और 2019 में मठ में एक स्कूल खोला था. गोविंद महराज ने मिजोरम और त्रिपुरा में कुछ लोगों से संपर्क किया और उनके माध्यम से यह कहकर बच्चों को बुलाया गया कि उन्हें न सिर्फ मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, बल्कि भोजन और रहने का खर्च भी आश्रम उठाएगा.
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कमलेश वर्मा ने बताया कि बच्चों के परिजनों को यह नहीं मालूम था कि जिस आश्रम में बच्चे जा रहे हैं वहां शिक्षा की कोई व्यवस्था है भी या नहीं. यहां बच्चों से न सिर्फ शारीरिक श्रम कराया जाता था, बल्कि उनका शारीरिक, मानसिक और यौन उत्पीड़न भी होता था. वहीं, आश्रम के मालिक भक्ति भूषण महराज का कहना है कि ये सभी आरोप गलत हैं और स्थानीय लोगों का उनके खिलाफ षडयंत्र का हिस्सा है. उनके मुताबिक, "आश्रम परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनकी जांच की जा सकती है. ये बच्चे यहां लंबे समय से रह रहे थे. अब स्थानीय लोगों ने इन बच्चों को ये सब कहने के बहकाया है क्योंकि जमीन का एक हिस्सा आश्रम को दान में मिलने के बाद कुछ लोग गुस्से में थे और हम लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर रहे हैं.”
बहरहाल, आश्रम के संचालक और उनके शिष्य को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है और पुलिस पूरे मामले की पड़ताल कर रही है. आश्रमों में इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले साल शाहजहांपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में रहने वाली एक लड़की ने भी लंबे समय से उसके साथ हो रहे यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इस मामले में स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार भी किया गया था, जो बाद में जमानत पर छूट गए थे. हालांकि बाद में इस मामले में पीड़ित लड़की को भी ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
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