मोदी सरकार ने कब कब लोगों की नाराजगी झेली
मोदी सरकार इन दिनों अपने सबसे मुश्किल इम्तिहान का सामना कर रही है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसान आंदोलनकारी हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. एक नजर उन घटनाओं पर, जब मोदी सरकार को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी.
किसान आंदोलन
कई हफ्तों से दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. इस बीच, 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई है.
नागरिकता संशोधन अधिनियम
नरेंद्र मोदी सरकार ने जब 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित किया तो इसके खिलाफ देश में कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. धर्म के आधार पर पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले इस कानून को आलोचकों ने संविधान विरोधी बताया.
धारा 370
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया. कई विपक्षी पार्टियों ने इसका तीखा विरोध किया. हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई महीनों तक जम्मू कश्मीर में कर्फ्यू लगाए रखा.
नोटबंदी
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का एलान कर दिया. सरकार का कहना था कि काले धन को बाहर लाने के लिए उसने यह कदम उठाया. लेकिन असंगठित क्षेत्र के कई उद्योग चौपट हो गए और लोग बेरोजगार हो गए.
जेएनयू की नारेबाजी
दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी अकसर सुर्खियों में रहती है. लेकिन 2016 में यूनिवर्सिटी परिसर में कन्हैया कुमार और अन्य छात्र नेताओं पर लगे देशद्रोह के आरोपों ने इसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में ला दिया. आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा.
लिंचिंग
2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद गौरक्षा के नाम देश के अलग अलग हिस्सों में लिंचिंग घटनाएं हुईं. गोमांस रखने या खाने के आरोप में कुछ समुदायों को निशाना बनाया गया. इसके बाद सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए, कई लोगों ने अपने पुरस्कार लौटाए.
रोहित वेमुला
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे एक दलित छात्र रोहित वेमुला की जुलाई 2015 में आत्महत्या ने भारत के बड़े शैक्षणिक संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव को उजागर किया. इसके बाद सड़कों पर उतरे लोगों ने उन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिनकी वजह से "रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा."