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कारोबारजर्मनी

युद्ध के 2 महीने में जर्मनी ने खरीदा सबसे ज्यादा रूसी तेल

२८ अप्रैल २०२२

यूक्रेन युद्ध के दो महीने में रूसी ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार जर्मनी था. गुरुवार को एक स्वतंत्र रिसर्च एजेंसी ने यह जानकारी दी. रिसर्चरों ने हिसाब लगाया है कि इस अवधि में रूस ने करीब 63 अरब यूरो का जीवाश्म ईंधन बेचा है.

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जर्मनी गैस के लिए रूस पर बहुत निर्भर है
जर्मनी गैस के लिए रूस पर बहुत निर्भर हैतस्वीर: Alexander Nemenov/AFP/Getty Images

24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था. जहाजों की आवाजाही, पाइपलाइनों में गैस के बहाव और मासिक व्यापार के पुराने आंकड़ों के आधार पर रिसर्चरों ने हिसाब लगाया है कि अकेले जर्मनी ने ही करीब 9.1 अरब यूरो का भुगतान रूस को किया है. युद्ध के पहले दो महीने में हुए इस भुगतान का ज्यादातर हिस्सा प्राकृतिक गैस की कीमत है. ये आंकड़े सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर यानी सीआरईए के हैं.

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पिछले साल 100 अरब का आयात

जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च की वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ क्लाउडिया केमफर्ट का कहना है कि हाल ही में जो कीमतों में उछाल आया है उसे देखते हुए इन्हें सुखद कहा जा सकता है. पिछले साल जर्मनी ने तेल, कोयला और गैस के आयात पर करीब 100 अरब यूरो खर्च किए थे. इसका एक चौथाई रूस को गया था.

जर्मनी रूस से ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाने की कोशिश में है
जर्मनी रूस से ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाने की कोशिश में हैतस्वीर: Martin Meissner/AP/picture alliance

जर्मन सरकार का कहना है कि वह अनुमानों पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकती. साथ ही सरकार ने अपना कोई आंकड़ा देने से भी इनकार कर दिया. उनका कहना है कि आंकड़े सिर्फ कंपनियों से मिल सकते हैं जो ऊर्जा खरीद कर सप्लाई देती हैं. रूस के जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर रहने के लिए जर्मनी की बड़ी आलोचना हुई है. कई देश यह चेतावनी देते रहे हैं कि इससे यूरोप और खुद जर्मनी की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है.

एक साल पहले जब अमेरिका जर्मनी के लिए रूसी गैस पाइपलाइन के निर्माण को रोकने की कोशिश में था तब तत्कालीन जर्मन चांसलर ने इसका विरोध किया. हालांकि युद्ध शुरू होने से ठीक पहले उस पाइपलाइन से गैस के आयात को मंजूरी देने से मना कर दिया गया. मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भी बहुत पहले से ही रूस के साथ ऊर्जा सहयोग के पक्ष में रहे हैं.

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इटली है दूसरा सबसे बड़ा आयातक

जर्मनी के कुल आयात में रूसी नेचुरल गैस की हिस्सेदारी फिलहाल 35 फीसदी है. हाल ही में जर्मनी ने तय किया है कि 2035 तक वह अपनी सारी बिजली केवल अक्षय ऊर्जा से हासिल करने के लिये खुद को तैयार कर लेगा. केमफर्ट ने इसका स्वागत किया है हालांकि उनका यह भी कहना है, "जब तक जर्मनी जीवाश्म ईंधन खरीदना बंद नहीं करता चाहे वो रूस से हो या फिर किसी और तानाशाही शासन से, उसकी विश्वसनीयता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए मुश्किलें रहेंगी."

फिनलैंड की रिसर्च एजेंसी सीआरईए का कहना है कि युद्ध के दौर में रूसी जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा आयातक इटली रहा है जिसने 6.9 अरब यूरो की रकम अदा की है. इस सूची में तीसरा नंबर चीन का है जिसने 6.7 अरब यूरो की रकम जीवाश्म ईंधन की कीमत के रूप में चुकाई है.

नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन से गैस सप्लाई को जर्मनी ने मंजूरी देने से मना कर दिया है
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन से गैस सप्लाई को जर्मनी ने मंजूरी देने से मना कर दिया हैतस्वीर: Jens Büttner/dpa/picture alliance

दक्षिण कोरिया, जापान, भारत और अमेरिका ने भी युद्ध शुरू होने के बाद रूसी ऊर्जा खरीदी है लेकिन यूरोपीय संघ की तुलना में यह बहुत कम है. यूरोपीय संघ के सभी देश कुल मिला कर रूस को तेल, गैस और कोयले के निर्यात से होने वाली कमाई में 71 फीसदी का योगदान करते हैं. सीआरईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कमाई तकरीबन 44 अरब यूरो की है.

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सीआरईए की प्रमुख विश्लेषक लॉरी मलीवर्ता का कहा है कि साल दर साल के आधार पर तुलना करना कठिन है लेकिन 2021 में यूरोप को इसी समय में रूस ने 18 अरब यूरो का निर्यात किया था. मलीवर्ता का कहना है, "तो 44 अरब यूरो पिछले साल का दोगुना है. इसका प्रमुख कारण गैस की कीमत का 10 से बढ़ कर 100 यूरो प्रति मेगावाट घंटा होना है.

एनआर/आरपी (एपी)

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