यूनियन-एसपीडी बनाएंगे सरकार
१८ अक्टूबर २०१३मंगलवार को जर्मनी की नई संसद गठित हो जाएगी. उसके बाद अगली सरकार बनने तक अंगेला मैर्केल की पुरानी सरकार अंतरिम रूप से काम करती रहेगी. गठबंधन वार्ताओं की सफलता अब तीनों पार्टियों के प्रमुखों पर निर्भर है. उनकी अपनी पार्टियों में उनका रुतबा और एक दूसरे के लिए भरोसा सरकार बनाने की प्रक्रिया को तय करेगा. शुरुआत हो चुकी है, लेकिन अंत का पता नहीं.
सीडीयू प्रमुख और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, सीएसयू प्रमुख और बवेरिया प्रांत के मुख्य मंत्री हॉर्स्ट जेहोफर और एसपीडी प्रमुख जिगमार गाब्रिएल एक दूसरे को जानते हैं. तीनों नेता एक दूसरे को सिर्फ संसद की सदस्यता की वजह से नहीं बल्कि 2005 के गठबंधन सरकार के समय से भी जानते हैं, जब वे साथ साथ सरकार में थे. उनकी अकेले में हुई बातचीत में गठबंधन संधि पर बातचीत शुरू करने का फैसला हुआ, लेकिन उन्हें अभी बहुत से मुद्दों पर सहमति हासिल करनी है.
चांसलर मैर्केल की पिछली महागठबंधन सरकार में जेहोफर कृषि मंत्री थे और गाब्रिएल पर्यावरण मंत्री थे. उनकी आपस में अच्छी बनती थी. आपसी भरोसे के मामले में उन्हें शून्य से शुरुआत नहीं करनी होगी. हालांकि पिछले दिनों में कुछ दूसरी मिसालें भी रही हैं. 2010 में तत्कालीन विपक्षी नेता गाब्रिएल और मैर्केल के बीच एसएमएस संदेशों का पता चला था, जब एसपीडी ने राष्ट्रपति पद के लिए निर्दलीय योआखिम गाउक की उम्मीदवारी का समर्थन किया था. इस पर मैर्केल का रूखा सा जवाब था, सूचना के लिए धन्यवाद और हार्दिक शुभकामना, एएम. यह चेतावनी जरूर है, लेकिन भरोसा बनाने की राह में बाधा नहीं.
हाल में हुए संसदीय चुनावों में 41.5 प्रतिशत वोट पाकर मैर्केल ने अपने को निर्विवाद विजेता साबित किया है. उनका तीसरा कार्यकाल सुरक्षित है. सवाल सिर्फ यह है कि एसपीडी या ग्रीन पार्टी के साथ. 59 वर्षीय चांसलर फैसला लेने के मामले में अपने मर्द साथियों से कम सख्त नहीं हैं. उन्हें भी अपनी ताकत का अहसास है, लेकिन वे लक्ष्य पर पहुंचने के लिए समझौतावादी, संतुलित, इंतजार करने वाला और समय आने पर चोट करने वाला रवैया दिखाती हैं. जिसकी जरूरत न हो, उसे बाहर का रास्ता दिखाने से पीछे नहीं हटतीं.
पार्टी के अंदर बहुत से नेताओं के लिए वे रहस्य हैं कि उन्होंने पार्टी को कैसे जीत लिया है. 13 साल पहले पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के समय साम्यवादी जीडीआर में पली बढ़ी मैर्केल को अंतरिम नेता समझा गया था. उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि पादरी की बेटी कभी दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में शुमार होगी और कोनराड आडेनावर और हेल्मुट कोल जैसे पार्टी के बड़े नेताओं की कतार में शामिल हो जाएंगी.
इसके लिए अब उन्हें जेहोफर और गाब्रिएल का भी सम्मान मिल रहा है. 64 वर्षीय जेहोफर ने एक बार कहा था कि जो मैर्केल को कम कर आंकता है, वह यूं ही हार गया. वे मैर्केल को कम नहीं आंकते, लेकिन पिछले गठबंधन के दौरान सरकार से बाहर जाने की धमकी देकर अकसर उकसाते रहे हैं. मैर्केल कभी झुकती रहीं तो कभी सख्त रहीं. गठबंधन चलता रहा.
एसपीडी में मजाक किया जा रहा है कि मैर्केल ग्रीन पार्टी के साथ गठबंधन बना ही नहीं सकतीं. उन्हें जेहोफर को शिकंजे में रखने के लिए जिगमार गाब्रिएल जैसे कद्दावर नेता की जरूरत है. बवेरिया में फिर से बहुमत जीतकर जेहोफर ने भी अपना राजनीतिक कद बढ़ा लिया है और बर्लिन में ज्यादा ताकत का दावा करेंगे. न्यूनतम वेतन पर रियायत देकर उन्होंने महागठबंधन का रास्ता साफ किया है. वे भावनाओं की राजनीति करने वाले नेता हैं. और उनके नेतृत्व में उनकी पार्टी ने फिर से पुराना गौरव हासिल किया है.
गाब्रिएल को भी लोगों की धड़कन समझने वाला नेता समझा जाता है. संसदीय चुनाव से पहले एसपीडी में विद्रोह की आवाजें सुनाई दे रही थी, लेकिन चुनावों के बाद वे अचानक ताकतवर हो गए हैं. राजनीति में उन्होंने बड़े उतार चढ़ाव देखे हैं. गेरहार्ड श्रोएडर के चांसलर बनने के बाद वे लोवर सेक्सनी में मुख्य मंत्री बने थे, लेकिन अगला चुनाव हार गए थे. 2005 में केंद्रीय सरकार में मंत्री के रूप में उनकी वापसी हुई. इस बार चांसलर उम्मीदवार बनने की हिम्मत वे नहीं जुटा पाए, लेकिन नई सरकार में उपचांसलर बन सकते हैं.
पार्टी प्रमुख के रूप में गाब्रिएल ने श्रम सुधारों के मुद्दे पर विभाजित पार्टी को फिर से एकजुट किया है और पार्टी के अंदर लोकतंत्र को मजबूत किया है. पार्टी सदस्य न सिर्फ गठबंधन वार्ता शुरू करने के बारे अंतिम फैसला करेंगे बल्कि सीडीयू और सीएसयू के साथ तय होने वाली गठबंधन संधि पर सहमति या असहमति की मुहर भी लगाएंगे. अब सारा कुछ जिगमार गाब्रिएल पर निर्भर है कि साल खत्म होने से पहले नई सरकार बनती है या नहीं. यदि वे पार्टी सदस्यों को मना पाते हैं तो यह मुश्किल नहीं होगा.
एमजे/एनआर (डीपीए)