यूरो के बीस साल
1 जनवरी 2019 को यूरो के बीस साल पूरे हो गए. इन बीस सालों में कैसा रहा यूरो का सफर और क्या हैं यूरो की कुछ खास बातें, देखिए.
मास्त्रिष्ट संधि से शुरुआत
सन 1993 में मास्त्रिष्ट संधि लागू हुई थी. इसके लिए ब्रिटेन और डेनमार्क को छोड़कर यूरोपीय समुदाय के 12 देशों के मंत्रियों ने मास्त्रिष्ट में मिल कर राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की ओर बड़ा कदम उठाया. इसी संधि की वजह से आगे चलकर एकसमान मुद्रा यूरोप के कई देशों ने अपनाई, जो यूरो कहलाई.
नए साल में नई मुद्रा
1 जनवरी 1999 को यूरो की शुरुआत हुई. 11 यूरोपीय देशों ने मिल कर समझौता किया कि वे यूरो को अपनी मुद्रा मानते हैं. ये देश थे ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, पुर्तगाल और स्पेन. ग्रीस 1 जनवरी 2001 को शामिल हुआ था.
यूरोपीय बैंक की भूमिका
यूरो मुद्रा से जुड़ी ब्याज दरों के फैसले लेने के लिए नये नवेले यूरोपीय केंद्रीय बैंक का गठन किया गया. मास्त्रिष्ट संधि में ही इस बात पर सहमति बना ली गई थी कि सभी सदस्य देशों में मुद्रास्फीति को संतुलित रखा जाएगा और कर्ज जीडीपी के 60 फीसदी से ऊपर नहीं जाने दिया जाएगा.
आभासी मुद्रा
शुरुआत में यूरो का इस्तेमाल सिर्फ एक वर्चुअल करेन्सी के तौर पर शुरु हुआ. यानि इसका इस्तेमाल वित्तीय लेनदेन और अकाउन्टिंग में होता था लेकिन लोगों के हाथों में यह मुद्रा नहीं पहुंची थी.
फिर आए असली नोट
यूरो के लॉन्च से लोगों के हाथों में यूरो मुद्रा के नोट और सिक्के पहुंचने में तीन साल का समय लगा. आज प्रचलित यूरो में 10 से ज्यादा सुरक्षा फीचर हैं. यूरो के नोट डियाजन करने का जिम्मा राइनहोल्ड गेर्स्टेटर नामके कलाकार का है.
साझा मुद्रा की जरूरत
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सभी देशों के बीच में मुद्रा विनिमय की दरों को लेकर होने वाले विवादों से निपटने और टैरिफ-मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए यूरो को अपनाया गया.
यूरो का विस्तार
यूरोपीय संघ के 28 देशों में से 19 देश यूरो का इस्तेमाल करते हैं. इस समय इन 19 देशों के करीब चौंतीस करोड़ लोगों की मुद्रा यूरो ही है.
अर्थव्यवस्था को फायदा
यूरोप के जिन देशों में यूरो का इस्तेमाल होता है, उनकी अर्थव्यवस्था 72 फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ 112 खरब यूरो तक जा पहुंची है.
लोग भी संतुष्ट
यूरोजोन में रहने वाले 74 फीसदी लोगों ने यूरोपीय केंद्रीय बैंक के सर्वेक्षण में बताया है कि उनके हिसाब से यूरो के इस्तेमाल से यूरोपीय संघ को फायदा हुआ है. वहीं 64 प्रतिशत लोगों का मानना है कि यूरो उनके देश के लिए अच्छा साबित हुआ है.
मजबूती से टिकी
डॉलर के बाद यूरो दुनिया की दूसरी सबसे मजबूत मुद्रा है. हालांकि डॉलर को नंबर एक पर चुनौती देने तक का सफर अभी भी काफी लंबा लगता है.