यूरोपीय संघ में दक्षिणपंथी और ग्रीन पार्टी का बोलबाला
२७ मई २०१९इस बार के यूरोपीय संघ के चुनाव में सबसे चौंकाने वाली बात है भारी मतदान. करीब 40 करोड़ मतदाताओं में से 51 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है जो पिछली बार के चुनाव से करीब 8 फीसदी ज्यादा है. पर्यावरण को लेकर नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन, स्कूल छोड़ कर प्रदर्शन करने वाले किशोरों और साझा मुद्रा यूरो के बचाव पर जोर के बीच दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टियों ने वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने में कामयाबी पाई है.
यूरोपीय संघ की कंपिटीशन कमिश्नर मार्ग्रेथे वेस्टागर डेनमार्क की उदारवादी एएलडीई धड़े की नेता है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा कि मतदाताओं ने यह जान लिया है कि दांव पर क्या है. वेस्टागर यूरोपीय आयोग का अगला कमिश्नर बनना चाहती हैं, उन्होंने कहा, "मतदान ताकत है. यूरोपीय संसद के लिए चुनाव लड़ रहे बहुत से ऐसे नेता हैं जो इसे तोड़ना चाहते हैं. यूरोपीय संसद के लिए लड़ रही कई ऐसी पार्टियां हैं जो खुद को राष्ट्रवादी कहती हैं लेकिन ऐसा लगता है कि रूसियों के हाथ बिकने को तैयार हैं. तो ऐसे में कुछ दांव पर लगा है और मुझे लगता है कि इसी वजह से लोगों को भी लग रहा है, 'शायद हमें इस बार वोट डालना चाहिए.'"
यूरोप के सोशल डेमोक्रैट के प्रमुख उम्मीदवार फ्रांस टिमरमंस का कहना है कि बड़ी संख्या में मतदान ने, "लोकतंत्र के चलने का बड़ा संकेत है."
ग्रीन पार्टी और उदारवादियों की जीत
उदारवादी और ग्रीन पार्टियों ने यूरोपीय संसद में अहम बढ़त हासिल की है. जर्मन ग्रीन ने करीब 20 फीसदी वोट हासिल कर सोशल डेमोक्रैट को पीछे छोड़ कर दूसरे नंबर पर कब्जा कर लिया है. एक नंबर पर अंगेला मैर्कल की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन और उसकी बावेरियाई सहयोगी क्रिश्चियन सोशल यूनियन है. राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीन पार्टी का यह सबसे अच्छा प्रदर्शन है.
जर्मन राजनेता उडो बुलमान यूरोपीय संसद में सोशलिस्ट ग्रुप के प्रमुख हैं. रविवार को हुए मतदान के बाद काफी निराश लग रहे बुलमान ने डीडब्ल्यू से कहा कि उनकी पार्टी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का कमजोर आकलन किया. उनका कहना है कि इस मामले में पार्टी को सुधार करना होगा. बर्लिन में सीडीयू नेता आनेग्रेट क्राम्प कारेनबावर ने पर्यावरण के मुद्दों पर कमी रहने की बात स्वीकार किय है. हालांकि वो इस बात से संतुष्ट हैं कि मध्य दक्षिणपंथी रूढ़िवादी पार्टी सीडीयू वोटों के नुकसान के बात भी यूरोपीय संसद में जर्मनी की सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी रहेगी.
यूरोपीय संघ की रुढ़िवादी यूरोपीयन पीपुल्स पार्टी (ईपीपी) में सीडीयू भी शामिल है. ईपीपी के मानफ्रेड वेबर यूरोपीय संघ के अध्यक्ष पद पर भी दावेदारी ठोक रहे हैं. मानफ्रेड वेबर ने ब्रसेल्स में कहा, "हमने बड़ी जीत हासिल नहीं की है लेकिन हम सबसे ताकतवर गुट हैं." वेबर ने यूरोपीय संघ का समर्थन करने वाली पार्टियों से सहयोग की अपील की है और इस में खासतौर से ग्रीन पार्टी का नाम लिया. वेबर ने कहा, "ग्रीन भी आज के विजेता हैं और इस वजह से वो एक संभावित सहयोगी हैं. हमें साथ बैठकर अगले पांच साल के लिए शासनकाल का स्वरूप तय करना चाहिए."
रुढ़िवादियों का दल अब भी सबसे बड़ा
शुरुआती नतीजे बता रहे हैं कि वेबर की ईपीपी ने यूरोपीय संसद की 179 सीटों पर जीत हासिल की है. 2014 में हुए चुनाव की तुलना में यह काफी कम है तब इस गुट को 216 सीटें मिली थीं. सोशलिस्ट और डेमोक्रैट्स की सीटें भी कम हुई हैं और उनके हाथ 150 सीटें आएंगी.
यूरोप के उदारवादी और डेमोक्रैट्स का मध्यमार्गी गठबंधन और उसकी सहयोगी फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल माक्रों की पार्टी एन मार्श को 107 सीटें मिलेंगी जो पांच साल पहले हुए चुनाव में मिली 69 सीटों से काफी ज्यादा है. ग्रीन पार्टियों के धड़े को भी 52 से 70 सीटें मिलने का अनुमान है.
लोकलुभावन और राष्ट्रवादी पार्टियों ने यूरोपीय संघ के इटली और फ्रांस जैसे देशों में उम्मीद से कम सफलता हासिल की है. कुल मिला कर इनकी 150 सीटें आ रही हैं लेकिन यह तीन अलग अलग धड़ों में बंटी हैं. जर्मन राष्ट्रवादी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड ने उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया जितना सोचा गया था. हालांकि सैक्सनी और ब्रैंडनबुर्ग में इन्होंने रुढ़िवादी सीडीयू को दूसरे नंबर पर धकेल दिया है.
दक्षिणपंथी लोकलुभावन दलों को बढ़त
ब्रसेल्स की यूरोपीयन पॉलिसी सेंटर से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक जानिस एमानोइलिडिस ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि यूरोपीय संघ समर्थक पार्टियों ने अब भी करीब 80 फीसदी सीटों पर कब्जा बनाए रखा है. जानिस एमानोइलिडिस का कहा है, "एक समूह के तौर पर दक्षिणपंथी लोक लुभावन दल उतने मजबूत नहीं हुए हैं जितने कि पहले चेतावनी दी गई थी. यह तो हम पहले से ही जानते थे कि उनके पास बहुमत नहीं होगा लेकिन हमने जितना सोचा था वो उससे भी कमजोर हैं."
इटली में गृह मंत्री मातेयो साल्विनी की दक्षिणपंथी लीग ने ज्यादातर वोट हासिल किए हैं और फ्रांस में मारिन ले पेन की पार्टी आगे है. एमानोइलिडिस का कहना है, "माक्रों ने अपने राजनीतिक कद का इस्तेमाल ले पेन और उनकी पार्टी को रोकने के लिए किया है लेकिन वो ऐसा करने में सफल नहीं हुए."
यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देशों में ज्यादातर जगह पारंपरिक रूप से बड़ी और मध्यमार्गी राजनीति करने वाली पार्टियां संघर्ष कर रही हैं जबकि उदार, पर्यावरणवादी और दक्षिणपंथी पार्टियों की ताकत बढ़ रही है. एमानोइलिडिस इसे बढ़ते बिखराव के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा, "हम देख रहे हैं कि बड़ी पार्टियों की जमीन खिसक रही है और बहुमत पाने के लिए ज्यादा व्यापक गठबंधन की जरूरत होगी." भविष्य में मध्यमार्गी और बड़ी पार्टियों को उदारवादी और ग्रीन पार्टियों के साथ मिल कर काम करना होगा.
वामपंथी, सोशल डेमोक्रैट, ग्रीन और उदारवादी दल यानी कि मध्य वामपंथी दलों के मिलने से बहुमत नहीं आएगा. मध्य दक्षिणपंथी बहुमत भी मुमकिन नहीं है क्योंकि पारंपरिक रूप से रुढ़िवादी राष्ट्रवादियों और दक्षिण पंथी लोकलुभावन पार्टियों के साथ नहीं जाएंगे.
बाकी यूरोप में कैसे रहे नतीजे
वेस्टागर का कहना है, "अब मामला जटिल हो गया है क्योंकि पर्याप्त बहुमत के लिए कोई भी एक दूसरे के बगैर नहीं रह पाएगा. तो अगले दिनों में यह बहुत दिलचस्प होगा कि कौन किससे बात कर रहा है और किस तरह का गठबंधन बनता है."
यूरोपीय संघ के ब्रिटेन के लिए इस बार खास तौर से असामान्य रहे हैं क्योंकि उसने संघ से बाहर जाने का फैसला किया लेकिन अभी जा नहीं सका है. यूरोपीय संघ की मुखालफत करने वाले निगेल फराज की पार्टी उम्मीद की मुताबिक विजेता रही है. उसे 31.5 फीसदी वोट मिले हैं. सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी को खामिजाया उठाना पड़ा है. कंजर्वेटिव पार्टी की प्रधानमंत्री टेरिजा मे इस्तीफे का एलान कर चुकी हैं.
ग्रीस में वामपंथी लोकलुभावन पार्टी को कंजर्वेटिव विपक्षी दल के हाथों हार मिली है. ऐसे में देश में नए चुनाव कराए जा सकते हैं. ऑस्ट्रिया में कंजर्वेटिव चांसलर की पीपुल्स पार्टी ने मजबूत बढ़त हासिल की है. दक्षिणपंथी लोक लुभावन फ्रीडम पार्टी ने भी थोड़ी बहुत बढ़त हासिल की है.
इस बीच जर्मनी में व्यंग्यकार मार्टिन सोनेबॉर्न अपनी पार्टी की चुनावी सफलता का जश्न मना रहे हैं. यूरोपीय संसद में उनके पास दो सीटें हैं हालांकि कोई नीति नहीं है.
यूरोपीय संसद चुनाव - किसकी जीत, किसकी हार?
हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore