ये हैं ब्रेक्जिट को लेकर अनसुलझे सवाल
ब्रिटेन ने तीन साल पहले यह घोषणा की थी कि वह यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा. इसके लिए 31 अक्टूबर की तिथि तय की गई है. शुरुआत में उम्मीद थी कि सबकुछ सौहार्दपूर्वक हो जाएगा लेकिन अब यह तलाक के मामले की तरह उलझता दिख रहा है.
ब्रिटेन अलग होने में इतना समय लंबा समय क्यों ले रहा
ईयू से अलग होने के प्रस्ताव पर ब्रिटेन में खाने के टेबल से लेकर संसद तक में तीखी बहस हो रही है. यूरोपीय संघ के अन्य 27 देशों के मोर्चे का सामना कर रहे ब्रिटिश वार्ताकारों के लिए यह एक आदर्श स्थिति है. पूर्व पीएम टेरीजा मे ने ईयू से अलग होने का प्रस्ताव पेश किया तो उसे तीन बार ब्रिटिश संसद ने खारिज कर दिया था. ईयू ब्रेक्जिट समझौते का सम्मान करता लेकिन यह ब्रिटिश संसद से ही पास नहीं हो पा रहा है.
ब्रिटेन के नए नेता ने ब्रेक्जिट वार्ता को कैसे प्रभावित किया
ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ईयू से अलग होने की दिशा में कदम बढ़ाया. ब्रेक्जिट वार्ताकार जिसके लिए वर्षों से काम कर रहे थे, बोरिस ने अपने व्यक्तित्व के प्रभाव से उसे दिनों में बदलने की कोशिश की. यह बदलाव ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड और यूरोपीय संघ के सदस्य आयरलैंड के बीच के संबंधों की मांग को लेकर है. लेकिन जॉनसन के प्रस्ताव पर लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है.
अगले चार सप्ताह में और क्या हो सकता है
जॉनसन काफी ज्यादा कहते हैं और ईयू बहुत कम. आयरलैंड की सीमा जैसे मुद्दे को जॉनसन फिर से तय करना चाहते हैं. सीमा का जो स्वरूप जॉनसन चाहते हैं, उसे कानूनी अमलीजामा पहनाना असंभव लगता है. इसके लिए ब्रेजिक्ट की जो सीमा 31 अक्टूबर तक तय की गई है, उसे फिर से बढ़ाना पड़ सकता है. हालांकि, जॉनसन का कहना है कि वे तय तिथि तक ईयू से अलग हो जाएंगे. इस समय सीमा को 'जीने और मरने' जैसी अहम बता रहे हैं.
आयरिश सीमा को लेकर सबसे मुश्किल क्या है
आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बीच की सीमा तय करना एक बड़ी बाधा है. कोई भी पक्ष ठोस सीमा नहीं चाहता है. इस सीमा पर किसी तरह की जांच न होना 'गुड फ्राइडे शांति समझौते' की एक प्रमुख उपलब्धि रही है, जिसने 1998 में दशकों से जारी हिंसा को कम करने में मदद की. समस्या तब आती है जब ब्रिटेन ईयू से अलग होता है. ऐसे में आयरलैंड में ईयू और ब्रिटेन के अलग करने वाली नई सीमा बनानी होगी.
समस्या से निपटने के लिए बोरिस जॉनसन की योजना
ब्रिटेन के नए ब्रेक्जिट प्रस्ताव में उत्तरी आयरलैंड को ईयू शुल्क क्षेत्र से हटाने के लिए कहा गया है. इसका मतलब यह आयरलैंड के लिए एक अलग सीमा शुल्क क्षेत्र होगा. इस सीमा से पार करने वाले ट्रकों को अलग से शुल्क देना होगा. ऐसे में काफी ज्यादा भौतिक जांच की संभावना बनती है,लेकिन ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव दिया है कि सीमा शुल्क को इलेक्ट्रॉनिक कर दिया जाए और काफी कम जगहों पर भौतिक जांच हो.
यह अदृश्य सीमा कैसे काम करेगी
ब्रिटिश सरकार को उम्मीद है कि कागजी कार्रवाई को कारगर बनाने के लिए तकनीकी समाधान मिल सकता है. जबकि ईयू ने इस प्रस्ताव को काफी पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया है. नई योजना ईयू के एकल बाजार नियमों का पालन करने के लिए उत्तरी आयरलैंड में भी लागू होती है, जो अब ब्रिटेन के बाकी हिस्सों में लागू नहीं होगी. उत्तरी आयरलैंड और ब्रिटेन के बीच ले जाए जा रहे सामानों की जांच के लिए नई प्रणाली बनानी होगी.
उत्तरी आयरलैंड के लोग ईयू के साथ रहना चाहते हैं
जॉनसन का प्रस्ताव है कि उत्तरी आयरलैंड के सदन को ब्रेक्जिट सीमा समझौते को मानने या ना मानने का मौका दिया जाए और इसे हर चार साल पर बढ़ाया जाना चाहिए. यह योजना उत्तरी आयरलैंड की गुड फ्राइडे शांति समझौते द्वारा स्थापित पावर शेयरिंग असेंबली पर निर्भर करती है. लेकिन दो साल पहले पावर-शेयरिंग असेंबली को भंग कर दी गई और फिर से गठित नहीं की गई. इस पर ईयू और आयरलैंड सहमत नहीं है.