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समाज

यौन उत्पीड़न को रोकेगी वर्चुअल रियलिटी तकनीक

३ सितम्बर २०१८

इस दिनों वर्चुअल रियलिटी की बड़ी चर्चा हो रही है. वर्चुअल रियलिटी असल में वो तजुर्बा है, जिसमें ऐसा एहसास कराया जाता है कि आप उस जगह पर मौजूद हैं, जहां घटनाएं हो रही हैं. इस तकनीक से यौन हिंसा से कैसे निपटा जा सकता है?

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तस्वीर: SRF

अगर आपका बॉस आपकी महिला साथी को गलत तरीके से पकड़ कर रात की पार्टी में आने के लिए कहे, तो आप क्या करेंगे? क्या आप बॉस के बर्ताव पर कुछ कहेंगे या इसे अनदेखा कर देंगे? कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े ऐसे ही कई काल्पनिक सवाल वर्चुअल रियलिटी ट्रेनिंग प्रोग्राम में पूछे जा रहे हैं.

'वर्चुअल रियलिटी' या वीआर में आप हेडसेट और चश्मा लगाकर किसी अंधेरे स्टूडियो में ऐसा तजुर्बा करते हैं मानो आप जो तस्वीरें देख रहे हैं, आप ही के इर्द-गिर्द हैं. आम तौर पर इसे गेम्स खेलने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन अब इसे सामाजिक मुद्दों को सुलझाने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

वीआर तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा

यौन हिंसा की शिकार मोर्गन मर्सर ने अपने अनुभव के बाद एक ऐसी ट्रेनिंग कंपनी बनाई जिससे लोगों की मदद की जा सके. वह कहती हैं, ''किसी समस्या को समझने का सबसे अच्छा उपाय है कि शख्स को उसी परिस्थिति में डाल दिया जाए.''

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दुनिया में हर तीन में से एक महिला या लड़की यौन हिंसा का शिकार होती है. ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए वर्चुअल रियलिटी तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है. बात चाहे बेघरों की जागरूकता की हो या फिर मानव तस्करी की, इन दिनों वर्चुअल रियलिटी का इस्तेमाल सामाजिक मुद्दों के लिए हो रहा है.

इसके समर्थक मानते हैं कि वर्चुअल रियलिटी के अनुभव से ऐसा लगता है कि वे वाकई उस परिस्थिति में हैं. बार्सिलोना यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस में वीआर एप्लिकेशंस की विशेषज्ञ मावी सैनशेज वाइव्स भी सहमति जताते हुए कहती हैं, ''लोग इस तरह प्रतिक्रिया देते हैं मानो वे वाकई उसे महसूस कर रहे हों.''

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से कैसे निपटे

2017 में मर्सर ने सैन फ्रांसिस्को में अपनी फर्म वैंटेज पॉइंट बनाई. पिछले महीने इसने दो कोर्स लॉन्च किए जिसमें स्टाफ ने वर्चुअल हेडसेट की मदद से लोगों के कार्यस्थल का अनुभव जानने की कोशिश की. वे जानना चाहते थे कि अगर कार्यस्थल पर आपत्तिजनक टिप्पणी या बर्ताव किया जाए तो वे कैसी प्रतिक्रिया देंगे. 

अमेरिका में कम से कम 25 फीसदी और ब्रिटेन में 50 फीसदी से अधिक महिलाओं ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न झेला है. मर्सर कहती हैं, ''लोगों की अपने सहकर्मियों के साथ दोस्ती होती है और वे बाहर घूमने जाते हैं. ट्रेनिंग का मकसद है कि उन्हें बताया जा सके कि कैसे दूसरा सहकर्मी असहज महसूस करता है. क्या सही है क्या गलत और क्या एक्शन लिया जा सकता है.'' उनके मुताबिक कई बातों को ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट में जाने से पहले ही निपटा जा सकता है.

मई में हुए एक सर्वे से पता चला कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीटू कैंपेन चलने के बाद भी सिर्फ एक तिहाई अमेरिकी मालिकों ने यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नए उपाय किए.

अपराधियों को महसूस कराया दर्द

बार्सिलोना में वाइव्स भी वीआर तकनीक का इस्तेमाल हिंसक पुरुषों पर कर रही हैं जिससे वे यह जान सके कि जब कोई आपके साथ गलत करता है तो कैसा लगता है. वीआर तकनीक में पहले अपराधियों को महिलाओं के शरीर में महसूस कराया जाता है. इसके बाद बेइज्जती, असहजता और आक्रामकता का अनुभव कराया जाता है. वाइव्स के मुताबिक अपराधियों पर इस तरह का अनुभव शिक्षित करने वाले वीडियो की अपेक्षा ज्यादा होता है. वह आगे कहती हैं, ''हम यह नहीं जानते कि वीआर तकनीक का अपराधियों पर कितना लंबा असर होता है, लेकिन कुछ वक्त के लिए यह जरूर उन पर असर डालता है.''

कनाडा में मनोविज्ञानी यौन हिंसा के पीड़ितों को वीआर की मदद से अपने ट्रॉमा पर काबू पाने में सहायता कर रहे हैं. एक्पोजर थेरापी में मरीजों का सामना उनके डर से कराया जाता है ताकि वे उसका सामना कर सकें. क्यूबेक यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञानी स्टीफन बुचार्ड कहते हैं कि वीआर तकनीक घटनास्थल पर वापस लौटने को सुरक्षित बनाती है.

वीसी/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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