रहे बुढ़ापे में भी याददाश्त चकाचक
कभी कभी बुढ़ापा आने से पहले ही लोग बातें भूलने लगते हैं, तो कई बार बुजुर्गों को कई दशक पुरानी बातें ठीक ठीक याद होती हैं. अगर आप भी सहेज कर रखना चाहते हैं अपनी यादें तो हर दिन ऐसा करें.
खेल-कूद
खेलते समय केवल शरीर ही नहीं बुद्धि की भी ट्रेनिंग होती है. व्यायामों से जब शरीर में ढेर सारा ऑक्सीजन पहुंचती है तो वह मस्तिष्क में भी जाती है. नियमित रूप से ऐसा करने से आगे चल कर डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के अलावा अल्जाइमर्स और डिमेंशिया भी दूर रहते हैं.
पर्याप्त नींद
शरीर को चलाना फिराना और थकाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसके बाद पर्याप्त आराम करना. 7 से 9 गंटे की अच्छी नींद दिमाग से हानिकारक चीजें साफ कर याददाश्त को तरोताजा रखेगी.
दिमाग को उत्तेजित करना
सुडोकु या शतरंज जैसे दिमागी खेल खेलने से, नई स्किल्स सीखने से और लोगों से मिलते जुलते और सक्रिय सामाजिक जीवन बिताने से भी दिमाग तेज होता है.
तनाव करें दूर
तनाव केवल तात्कालिक भावनाओं से ही नहीं बल्कि दिमाग पर दूरगामी असर से जुड़ा मामला है. स्टडीज दिखाती हैं कि लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने वाले लोगों के दिमाग की वे कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं जो नई यादों को सहेजने और पुरानी यादों को बचा कर रखने का काम करती हैं.
स्वास्थ्यवर्धक खाना
फल और सब्जियां तो भोजन का हिस्सा होना ही चाहिए. इसके अलावा बादाम और अखरोट जैसे मेवे भी दिमाग के लिए बहुत अच्छे हैं. इन सब में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ब्रेन सेल्स को जवान रखते हैं. इसके अलावा आवोकाडो, सैलमन मछली या ऑलिव ऑयल भी फायदेमंद हैं जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाए जाते हैं.
हाथ से लिखना
आपने भी कभी आजमाया होगा कि अगर कुछ अच्छी तरह याद करना है तो उसे लिखके प्रैक्टिस की. ऐसा करने से ऑक्सीजन से भरपूर रक्त का प्रवाह दिमाग के उस हिस्से की ओर होता है जो मेमोरी के लिए जिम्मेदार है. इसलिए जितना हो सके हाथों से लिखें. डायरी या ब्लॉग, जो भी आपको भाए.
संगीत सुनना
रिसर्च यह साबित कर चुकी है कि कुछ खास तरह के संगीत सीधे मेमोरी पर असर करते हैं. आपने भी महसूस किया होगा कि कई बार कुछ यादें किसी खास संगीत के साथ ही जुड़ जाती हैं. जब जब आप उस संगीत को सुनते हैं आपको वही बातें याद आती हैं. इसी तरह सक्रिय रूप से आप अपनी यादों को किसी संगीत के साथ जोड़ सकते हैं.
हंसना
हंसी सबसे बड़ी दवा है.. ये तो आपने सुना ही होगा. ये केवल शरीर की बीमारियों के लिए ही नहीं बल्कि दिमाग और याददाश्त के लिए भी सच है. बाकी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं दिमाग के किसी विशेष हिस्से से जुड़ी होती हैं. जबकि हंसने से दिमाग के लगभग सभी हिस्सों में हरकत होती है और आपकी यादें बुढ़ापे में भी जवान बनी रहती हैं.