राज्यपाल और सरकार के टकराव से हाशिए पर पहुंच रहा है लोकतंत्र
८ अक्टूबर २०२०जगदीप धनखड़ ने एक ट्वीट के जरिए इन आंकड़ों को सार्वजनिक किया है. लेकिन ममता बनर्जी की अगुवाई वाले गृह मंत्रालय ने राज्यपाल के दावों का खंडन कर दिया है. उसके बाद धनखड़ ने मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर एक पत्र भेजा है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि राज्यपाल की ओर से होने वाले हमले दरअसल अगले साल के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के अभियान का हिस्सा हैं. इसके साथ ही वे (राज्यपाल) पुलिस और सुरक्षाबलों को लगातार कठघरे में खड़ा करते रहे हैं. इससे उनका सियासी मकसद साफ है. दरअसल बीते रविवार को एक बीजेपी पार्षद मनीष शुक्ल की हत्या के बाद से ही राज्य का सियासी माहौल लगातार गरमा रहा है.
इसबीच, राज्य में कानून व व्यवस्था ढहने के विरोध में बीजेपी ने आज राज्य सचिवालय हजारों बीजेपी कार्यकर्ता जगह-जगह पुलिस वालों के साथ भिड़ गए. कई जगह पुलिस को लाठी चलानी पड़ी और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा. बीजेपी का दावा है कि सरकार ने उसके अभियान से डर कर राज्य सचिवालय बंद करने का फैसला किया.
आपराधिक आंकड़ों पर घमासान
राज्य में राज्यपाल और सरकार के बीच ताजा विवाद अगस्त के दौरान हुए रेप और अपहरण के आंकड़ों पर शुरू हुआ है. धनखड़ ने मंगलवार को अपने एक ट्वीट में कहा था, "आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2020 में बलात्कार की 223 और अपहरण की 639 घटनाएं महिलाओं के खिलाफ अपराध की चिंताजनक स्थिति को दर्शाती हैं और यह चिंता का विषय है. वक्त आ गया है कि अपने घर में लगी आग बुझाई जाए और कहीं और आग को हवा देने से पहले कानून-व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए." लेकिन गृह मंत्रालय ने जवाब में ट्वीट किया, "पश्चिम बंगाल में बलात्कार और अपहरण संबंधी राजभवन की ओर से दिए गए आंकड़े किसी भी आधिकारिक रिपोर्ट, आंकड़े या सूचना पर आधारित नहीं हैं. आरोप आधारहीन, झूठ पर आधारित और भ्रमित करने वाले हैं."
इस पर धनखड़ ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए नाराजगी जताई और गृह विभाग से अपने ट्वीट वापस लेने को कहा. उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भी लिखा है. राज्यपाल की दलील है कि उनके पास तमाम आंकड़े सरकारी स्त्रोतों से ही आए हैं. उनका सवाल है कि उनको ऐसे आंकड़े और कहां से मिलेंगे.
राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा है कि आपराधिक आंकड़ों पर गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया से वे हैरत में हैं. इन आंकड़ों को झूठा और निराधार बता कर संवैधानिक प्रमुख की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है. इसे किसी भी तरीके से सही नहीं ठहराया जा सकता. धनखड़ का दावा है कि राज्य के तमाम डिवीजनल कमिश्नरों ने राज्य के मुख्य सचिव के अलावा राजभवन को यह आंकड़े भेजे हैं, ऐसे में इनको झूठा कैसा बताया जा सकता है.
इससे पहले रविवार को बीजेपी पार्षद मनीष शुक्ल की हत्या के बाद भी राज्यपाल ने राज्य में कानून व व्यवस्था ढहने का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक तौर पर सरकार और पुलिस की खिंचाई की थी. वे जंगल महल इलाके में माओवादियों के सक्रिय होने का भी दावा कर चुके हैं. राज्यपाल के हर दावों को बीजेपी का समर्थन मिलता रहा है. इसी वजह से उन पर बीजेपी के सियासी हित में काम करने के आरोप भी लगते रहे हैं. ममता और उनकी पार्टी ने तो हाल में राज्यपाल पर बीजेपी के प्रवक्ता के तौर पर काम करने और राजभवन को पार्टी का अघोषित दफ्तर बनाने का भी आरोप लगाया था.
अब बीजेपी ने एक बार फिर सरकार पर राज्यपाल के अपमान का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "तृणमूल कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री जिस तरह लगातार राज्यपाल का अपमान कर रहे हैं उसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं मिलेगी." दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सौगत राय कहते हैं, "राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख की बजाय एक खास पार्टी के हितों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं. राज्य सरकार के खिलाफ लगातार ट्वीट और राजनीतिक टिप्पणियां कर उन्होंने अपना असली चेहरा दिखा दिया है."
बीजेपी का अभियान
बंगाल में कानून व व्यवस्था की स्थिति और बढ़ते आपराधिक मामलों के विरोध में गुरुवार को बीजेपी के नवान्न (राज्य सचिवालय) अभियान के दौरान जम कर हंगामा हुआ. हालांकि सैनिटाइज करने के लिए राज्य सचिवालय दो दिनों के लिए बंद है. लेकिन पार्टी ने दावा किया कि उसके अभियान के डर से ही सरकार ने सचिवालय को बंद करने का फैसला किया है. बीजेपी के अभियान को रोकने के लिए सचिवालय जाने वाले हर रास्ते को बंद कर वहां भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया था. लेकिन बावजूद इसके हजारों की तादाद में वहां पहुंचने वाले समर्थकों और कार्यकर्ताओं की पुलिस वालों से जगह-जगह हिंसक भिड़ंत हुई.
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. इस दौरान दर्जनों लोग घायल हो गए हैं. इस अभियान में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और भारतीय जनता युवा मोर्चा के नए बने अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के अलावा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय समेत तमाम नेता शामिल थे.
रैली शुरू होने से पहले सूर्या ने कहा, "राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार देश में सबसे भ्रष्ट है और इसे जल्दी ही सत्ता से उखाड़ फेंका जाएगा. मैं सरकार के खिलाफ लड़ाई में सबके साथ हूं." उधर, पुलिस का दावा है कि बीजेपी समर्थकों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया. उसके बाद उनको तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज करना पड़ा.
राजनीतिक पर्वयवेक्षकों का कहना है कि लगभग हर मुद्दे पर सरकार के प्रति राज्यपाल के आक्रामक रूख से साफ है कि वे जो भी कर रहे हैं वह बीजेपी के सियासी हितों को ध्यान में रखते हुए ही कर रहे हैं. यही वजह है कि उनकी और बीजेपी नेताओं की भाषा एक जैसी है. एक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "लोकतंत्र में ऐसा टकराव किसी भी स्थिति में उचित नहीं कहा जा सकता. अपराध और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर पुलिस और सुरक्षाबलों पर लगातार होने वाले इन हमलों से सुरक्षाबलों का मनोबल कमजोर होगा." चक्रवर्ती का कहना है कि दरअसल, इस रणनीति के जरिए अगले साल होने वाले अहम चुनावों की जमीन तैयार की जा रही है. लेकिन इसकी वजह से आम लोगों से जुड़े तमाम मुद्दे हाशिए पर पहुंच गए हैं.
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