'एन एप्पल ए डे कीप्स पुतिन अवे'
१६ अगस्त २०१४लाल टमाटर और पीली चिकोरी बक्सों में भरी हुई है. महिलाएं और पुरुष इन्हें तेजी से छोटी थैलियों में भर रहे हैं. नीदरलैंड्स की फोएडेलबांक्स संस्था के लिए अवैतनिक तौर पर काम करने वाली योक कैट्स कहती हैं, "अचानक हमारे पास टमाटर और चिकोरी से भरे 32 बक्से हैं वो भी बेस्ट क्वालिटी के." ये संस्था गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाने पीने की चीजें देती हैं. एक दिन ऑफिस खुला होता है और उसी दिन खूब सारी फल सब्जियां दरवाजे पर रखी थीं. "किस्मत की बात है कि हम ये ताजा सब्जियां आगे बांट सकते हैं."
नीदरलैंड्स के किसानों सहित यूरोपीय संघ कई सदस्य देशों के किसान भी परेशान हैं क्योंकि उनका सामान अब रूस नहीं जा रहा. स्थानीय बाजार में अगर मांग से ज्यादा आपूर्ति हो गई तो दाम गिर जाएंगे. ऐसा न हो इसलिए इन सब्जियों को नष्ट किया जाना चाहिए. लेकिन नीदरलैंड्स के अर्थव्यवस्था मंत्रालय की सचिव शेरन दिक्समा कहती हैं, "हमें दूसरे देशों बात करनी होगी कि ये कदम सही है या नहीं." उनका यह भी कहना है कि बाजार के मामले में उठाया जाने वाला हर कदम आंकना होगा और देखना होगा कि सबसे बुद्धिमत्ता वाला कदम क्या है.
पूरे यूरोपीय संघ में
यूरोपीय फैसले के कारण ग्रीस आर्थिक दबाव में आ रहा है. ग्रीस खुमानी और आलूबुखारे जैसे कई फल रूस को निर्यात करता रहा है और इन गर्मियों निर्यात के बंद होने से ग्रीस के कमजोर कदम और लड़खड़ा गए. बड़ी मुश्किल से ग्रीस आर्थिक संकट से उबरने की प्रक्रिया में है. वहां अब इन फल उत्पादक किसानों को मुआवजा देने की घोषणा की गई है.
ऑस्ट्रिया के किसान भी इससे परेशान हैं, कीमतें कम हो रही हैं. किसान और कामगार दबाव में आ रहे हैं. दांव पर 24 करोड़ यूरो का कारोबार लगा है. ऑस्ट्रिया कोशिश में है कि कोई और देश उनसे फल और दूध खरीद ले.
यूरोपीय आयोग ने मुश्किल तो पहचान ली है लेकिन फिर भी फैसला लेने के लिए अभी जल्दी है क्योंकि रूस के प्रतिबंधों से होने वाला नुकसान इतनी जल्दी नहीं आंका जा सकता. खराब होने वाले फलों के लिए जल्दी नया बाजार ढूंढना भी जरूरी है. यूरोपीय संघ में इटली, स्पेन, फ्रांस और ग्रीस हर साल 25 लाख टन आडू और 12 लाख टन आलूबुखारा पैदा करते हैं.
घरेलू बाजार का सहारा
अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग देसी फल और सब्जियां खरीदें. यूरोपीय संघ में सेब का सबसे बड़ा निर्यातक पोलैंड है. अभी तक उसके ज्यादातर सेब रूस जाते थे. अब उन्होंने एक नया नारा लगाया है, "एन एप्पल ए डे, कीप्स पुतिन अवे." अपने ग्राहकों से वो कह रहे हैं कि हर सेब के साथ आप अपने किसानों की मदद कर रहे हैं. पोलैंड की तर्ज पर यह अभियान अब इटली में भी शुरू हो गया है.
रिपोर्टः सबरीना पाप्स्ट/एएम
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी