लापता ईरानी वैज्ञानिक पाकिस्तानी दूतावास में
१३ जुलाई २०१०सऊदी अरब में एक धर्मयात्रा के दौरान पिछले साल ईरानी वैज्ञानिक शहराम अमीरी लापता हो गए थे. सोमवार की देर रात उनका पता चल गया. ईरान का आरोप था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने उनका अपहरण कर लिया था, जबकि समाचार चैनल एबीसी का दावा है कि अमीरी ने अपनी मर्जी से ईरान से चले जाने का फैसला किया था और वह सीआईए की मदद कर रहे थे.
ईरान के राष्ट्रीय समाचार चैनल से फोन पर बात करते हुए अमीरी ने कहा, "अमेरिका ने बेहद खराब काम करते हुए मेरा अपहरण कर लिया था. पिछले 14 महीनों में मुझे जबरदस्त मानसिक यातना दी गई है. मुझे सशस्त्र जवानों के पहरे में रखा गया."
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लंबे समय से विवाद चल रहा है. अमेरिका सहित पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियारों के लिए अपने कार्यक्रम चला रहा है, जबकि ईरान का कहना है कि उसका कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है.
ईरानी परमाणु कार्यक्रम में काम करने वाले वैज्ञानिक अमीरी के गायब हो जाने के बाद यह विवाद और बढ़ गया था. ऐसा माना जा रहा था कि अमीरी के पास ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी काफी जानकारियां हो सकती हैं. अमीरी का पता ऐसे वक्त में चला है जब अमेरिका और रूस ने हाल के दिनों में जासूसों की सबसे बड़ी अदला बदली की है. वियना हवाई अड्डे पर अमेरिका में रूस के लिए जासूसी कर रहे 10 लोगों और रूस से छोड़े गए चार लोगों की अदला बदली हुई थी.
अभी यह नहीं पता लग पाया है कि अमीरी कहां पर हैं. कहा जा रहा है कि वे पाकिस्तानी दूतावास में हैं लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक वे ईरानी हित वाले किसी क्षेत्र में हैं. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित का कहना है, "वह पाकिस्तानी दूतावास में नहीं हैं. वह ईरानी हित वाले क्षेत्र में हैं. हमारा दूतावास ईरानी अधिकारियों के संपर्क में है. वे इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि अमीरी को ईरान के सुपुर्द किया जा सके." इससे पहले ईरान के रेडियो स्टेशन ने खबर प्रसारित की थी, जिसमें कहा गया था कि अमीरी घर लौटना चाहते हैं.
ईरान में 1979 के इस्लामी क्रांति के बाद से अमेरिका और ईरान का कूटनीतिक रिश्ता टूट गया था. इसके बाद से पाकिस्तानी दूतावास के एक हिस्से में ईरानी हित वाला क्षेत्र बनाया गया, जिसमें ईरान के कर्मचारी काम करते हैं.
ईरान के अर्धसरकारी फार्स न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट दी है कि अमीरी को जिस तरह से वापस किया गया है, वह अमेरिका की खुफिया विभाग पर ईरान की जीत है. रिपोर्ट में कहा गया है, "ईरान की मीडिया और खुफिया कार्रवाई की वजह से अमेरिकी सरकार को इस बात के लिए बाध्य होना पड़ा कि वह अमीरी को वापस करे." ईरान के विदेश मंत्रालय ने अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
इससे पहले ईरान ने राजधानी तेहरान में स्विट्जरलैंड के राजदूत को तलब करके ऐसे दस्तावेज दिए थे, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिका ने अमीरी का अपहरण किया है. पिछले कुछ हफ्तों में अमीरी के कुछ ऐसे वीडियो भी प्रसारित किए गए थे, जिससे कुछ साफ नहीं हो पा रहा था. ऐसे ही एक वीडियो में एक और शख्स ने इंटरनेट पर आकर दावा किया था कि उसका भी यही नाम है और वह अमेरिका में पढ़ाई कर रहा है. किसी तीसरे वीडियो में एक शख्स ने दावा किया कि वह अमेरिकी खुफिया एजेंटों को छका कर भाग आया है और किसी जगह छिपा हुआ है.
इधर, अमीरी का कहना है कि अब उसकी बात सामने आ चुकी है और अमेरिका अपना चेहरा छिपाने के लिए उसे गुप चुप तरीके से ईरान भेजने की कोशिश कर सकता है. गायब होने से पहले अमीरी ईरान के मालेक अशतर यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे. इसके ईरान के ताकतवर रिवॉल्यूशनरी गार्ड से नजदीकी संबंध हैं.
ईरान बार बार दावा करता रहा कि अमेरिका ने ही अमीरी का अपहरण किया है. ईरान का आरोप है कि पहले भी कुछ ईरानियों को अगवा किया जा चुका है, जिसमें एक पूर्व रक्षा मंत्री हैं. वह 2007 से लापता हैं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः महेश झा