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विकीलीक्स का उबाल: अफ़ग़ान नीति पर गर्माती बहस

२८ जुलाई २०१०

विकीलीक्स पर अफ़ग़ानिस्तान के युद्ध से जुड़े 91,000 से अधिक गोपनीय अमरीकी दस्तावेज़ों के प्रकाशन को लेकर जारी हंगामा लगातार सुर्ख़ियों में छाया हुआ है. ओबामा के कई अहम सहयोगी अब पाकिस्तान को शक की नजर से देखने लगे हैं.

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तस्वीर: Spiegel

व्हाइट हाउस ने कहा है कि इन रिपोर्टों में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो पहले से पता नहीं था, स्वयं ओबामा सरकार के गहरे हिमायती तक मौजूदा अमेरिकी अफ़ग़ान नीति पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. विकीलीक्स कांड पर एक वक्तव्य में सैनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष और आम तौर पर ओबामा की अफ़ग़ान नीति के हामी जॉन कैरी ने कहा कि ये दस्तावेज़ अमेरिका की, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के प्रति नीति की वास्तविकता के बारे में गंभीर सवाल खड़े करते हैं.

सोमवार को इस सिलसिले में पूछे जाने पर व्हाइट हाउस के प्रवक्ता रॉबर्ट गिब्स ने कहा कि सैनेटर कैरी का स्वर अफ़ग़ान नीति के सिलसिले में एक प्रमुख स्वर रहा है. गिब्स ने पाक-अफ़ग़ान नीति पर होने वाली मासिक बैठकों की ओर संकेत करते हुए कहा, "कोई भी पत्थर पर लकीर खींच कर यह उम्मीद नहीं कर रहा है कि ऐसा होगा ही. हम बार बार मूल्यांकन करेंगे कि हम कहां हैं, क्या करने की ज़रूरत है, हम अफ़ग़ान क्षमता को कैसे बढ़ा सकते हैं, कैसे एक आत्मनिर्भर राष्ट्रीय सुरक्षा बल के अंग के रूप में अफ़ग़ान पुलिस और राष्ट्रीय सेना को प्रशिक्षित कर सकते हैं."

Barack Obama Finanzmarktreform
असमंजस में ओबामातस्वीर: AP

ऐसी एक मूल्यांकन बैठक गुरुवार को होनी तय है. सच तो यह है कि विकीलीक्स से पहले भी ओबामा की पाक-अफ़ग़ानिस्तान नीति को लेकर बहस वॉशिंगटन के राजनीतिक हल्कों और विशेषज्ञों के स्तर पर लगातार उबलती रही है. अभी इसी महीने पहले, जॉर्ज बुश और उससे पहले उनके पिता जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश की सरकार की सरकार में वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी रह चुके रॉबर्ट ब्लैकविल ने पॉलिटिको में एक स्तंभ में अफ़ग़ानिस्तान के विभाजन का प्रस्ताव रखा, जिसमें एक भाग पश्तून-प्रधान दक्षिण का हो और दूसरा, देश के बहुजातीय उत्तरी और पश्चिमी इलाक़ों का, जहां अमेरिका और साथी देश अपनी सैनिक मौजूदगी बनाए रखें. इससे कुछ मिलता-जुलता प्रस्ताव बुश सरकार के ही एक और पूर्व अधिकारी रिचर्ड हास ने भी किया. यह कि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा का विरोध करने वाले स्थानीय नेताओं को हथियार और प्रशिक्षण दे, जिनमें अमेरिकी शर्तें मानने वाले तालिबान भी शामिल हो सकते हैं. और यह भी कि अमेरिका वहां अपनी सैनिक मौजूदगी बनाए रखे.

Afghanistan Karte mit Herat Masar-iScharif und Kundus
अफगानिस्तान के विभाजन के भी प्रस्तावतस्वीर: AP GraphicsBank/DW

दूसरी ओर, अनुभवी विशेषज्ञ स्टीव कोल ने कहा कि ऐसे रवैये के नतीजे में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान तालिबान के और बाक़ी देश स्थानीय युद्ध नेताओं के हाथ चला जाएगा. लेकिन जिस एक बात पर सहमति दिखाई दी, वह यह है कि अमेरिकी और नेटो सेनाओं के हटने से उस देश में गृहयुद्ध छिड़ सकता है.

इस तरह, जुलाई, 2011 तक सैनिक वापसी की ओबामा-सरकार की नीति को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. अधिकतर रिपब्लिकन जुलाई में वापसी की घोषणा की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन कुछ रिपब्लिकन इस कालसीमा को और भी निकट ले आने के पक्ष में हैं. रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष माइकल स्टील ने तो हाल में अफ़ग़ानिस्तान युद्ध को ओबामा के युद्ध का नाम दे दिया था. इसे लेकर जो हंगामा उठ खड़ा हुआ, वह स्वाभाविक ही था.

जो भी हो, मौजूदा अफ़ग़ान नीति को लेकर बहस विकीलीक्स के बाद तेज़ होती जान पड़ती है. ऐसे समय, जबकि इस नीति में अमेरिकियों का विश्वास कम से कमतर होता जा रहा है, जैसा कि मत सर्वेक्षणों से ज़ाहिर है. बीते सप्ताहांत तालिबान द्वारा दो अमेरिकी नाविकों को क़ब्ज़े में लिए जाने जैसी घटनाएं, ज़ाहिर है, आम अमेरिकी के विश्वास को बढ़ावा नहीं देती.

रिपोर्ट: गुलशन मधुर, वॉशिंगटन

संपादन: ओ सिंह