विकीलीक्स की वजह से भारतीय संसद ठप
२२ मार्च २०११विकीलीक्स ने एक अमेरिकी गोपनीय संदेश जारी किया जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस के एक नेता ने अमेरिकी अधिकारियों को पैसे से भरी तिजोरी दिखाई और बताया कि यह पैसा सांसदों को खरीदने के लिए है. मामला 2008 में यूपीए सरकार के विश्वासमत प्रस्ताव का है.
विपक्षी दल इस मुद्दे पर संसद में बहस चाहते हैं. भारत के प्रधानमंत्री ने विकीलीक्स के खुलासे के बाद लगे आरोप को खारिज कर दिया था. लेकिन विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज ने कहा कि गोपनीय दस्तावेज बिल्कुल सच्चा है.
राज्यसभा में विपक्षी दलों ने आक्रामक रवैया अपनाया और प्रधानमंत्री के बयान पर तुरंत बहस कराए जाने की मांग पर अड़ा रहा. लोकसभा में अध्यक्ष मीरा कुमार ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को बताया कि उनके प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर विचार हो रहा है. इस पर स्वराज ने प्रधानमंत्री के बयान पर बहस की मांग कर दी.
लोकसभा में सत्ता पक्ष के नेता प्रणब मुखर्जी चाहते थे कि पहले फाइनैंस बिल पर बहस हो ताकि संवैधानिक नियमों के मुताबिक इसे राज्यसभा में वक्त से उठाया जा सके. मुखर्जी ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि अगर पहले हमने फाइनैंस बिल पेश किया तो कोई आसमान टूट पड़ेगा. मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि फाइनैंस बिल पास हो जाने के बाद चर्चा हो जाएगी. मैं इसे नाक का सवाल नहीं बनाना चाहता."
बाद में जब फाइनैंस बिल पर बहस शुरू हुई तो विपक्ष ने वॉक आउट कर लिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार