परिकथाएं जो बच्चों के लिए नहीं है
१ अप्रैल २०१६इसकी शुरुआत बच्चों के लिए बनी किसी एनिमेटेड फिल्म की ही तरह होती है. लेकिन जैसे जैसे कहानी की परतें खुलती हैं, समझ आता है कि यह "फेयरी" नहीं "अनफेयरी" टेल है. बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने इसे यही नाम दिया है. क्योंकि एक बच्ची की कहानी होने के बावजूद, ना तो इसमें फेयरी यानि कोई परी है और ना ही यह फेयर यानि उचित है.
सीरिया के गृहयुद्ध में बम हमलों से जूझते लाखों लोगों के साथ ईविन को भी अपना घर और अपना देश छोड़कर भागना पड़ा. इस दौरान ईविन ने क्या क्या झेला, देखें इस वीडियो में.
वह कहती हैं, "मुझे रात में उस खौफनाक मंजर के सपने आते हैं. मैं रोने लगती हूं. मैं उठती हूं तो मेरा तकिया आंसू सोखकर भीग चुका होता है.''
एनिमेशन के जरिये बताई गई इस कहानी के अंत में महज 14 साल की ईविन स्क्रीन पर आती है और पूछती है, "मुझे दुख होता है, यह जिंदगी इतनी कठोर क्यों है?''
अनफेयरी टेल्स नाम से यूनिसेफ ने ऐसे ही कई प्रवासियों की सच्ची कहानियों पर एनिमेशन विडियो शेयर किए हैं. यूनिसेफ ने इस वीडियो के साथ ही एक अपील भी जारी की है, ''शरणार्थियों के बारे में फैल रही गलत अफवाहों के खिलाफ लड़ें, इस छोटे से मानवतावादी कदम के साथ.''