वोडाफोन इंडिया और आइडिया का विलय
२० मार्च २०१७सोमवार को दोनों कंपनियों ने एक संयुक्त बयान में कहा, "वोडाफोन ग्रुप पीएलसी और आइडिया सेलुलर भारत में अपने ऑपरेशन को मिलाने पर सहमति बना चुके हैं." इन दोनों कंपनियों के विलय से तैयार होने वाली संयुक्त कंपनी भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बन जाएगी. दोनों मिलकर भारत के करीब 40 करोड़ टेलिकॉम उपभोक्ताओं को संचार सुविधाएं प्रदान करेंगी. यह संख्या भारत के कुल टेलिकॉम मार्केट शेयर का करीब 35 फीसदी और रेवेन्यू मार्केट शेयर का करीब 41 फीसदी है.
इन नई संयुक्त इकाई में वोडाफोन का 45.1 प्रतिशत स्वामित्व होगा. उसके पहले वोडाफोन को 4.9 फीसदी हिस्सा आइडिया की पेरेंट कंपनी, आदित्य बिड़ला समूह को ट्रांसफर करना होगा. वोडाफोन को इसके लिए 57.9 करोड़ डॉलर का भुगतान मिलेगा. आदित्य बिड़ला समूह के पास नयी कंपनी के 26 फीसदी का स्वामित्व होगा. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भेजे एक बयान में बताया गया है कि इन दोनों कंपनियों के बाद बचा हुआ हिस्सा सार्वजनिक होगा. इसका अर्थ हुआ कि यह हिस्सा स्टॉक एक्सचेंज में शेयर के रूप में बिकेगा, जिसे खरीदने वाले शेयरधारी कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक होंगे.
विलय से पहले वोडाफोन इंडिया भारत का दूसरा और आइडिया तीसरा सबसे बड़ा टेलिकॉम नेटवर्क था. अब साथ आने के कारण यह नयी कंपनी भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बन जाएगी और इसी के साथ अब तक नंबर एक रहे भारती एयरटेल को दूसरे स्थान पर धकेल देगी. कई हफ्तों से अटकलें लग रही थीं कि ये दो कंपनियां रिलायंस जियो से मिल रही चुनौती से निपटने के लिए आपस में कोई डील करने पर बातचीत कर रही हैं. रिलायंस जियो ने अप्रत्याशित कीमतों पर कॉल और डाटा की सुविधाएं देकर पूरे देश के टेलिकॉम बाजार को हिला कर रखा हुआ है. प्रतियोगिता में बने रहने के लिए सारी दूसरी कंपनियां भी कीमतों की जंग में कूद चुकी हैं.
सितंबर 2016 में मुकेश अंबानी की निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मुफ्त वॉयस और डाटा सुविधाओं वाला जियो प्लान लॉन्च कर देश में 10 करोड़ सब्सक्राइबर जोड़ लिए. 2017 में कंपनी ने इस बढ़त को जारी रखने के मकसद से बेहद सस्ते डाटा प्लान और हमेशा के लिए मुप्त वॉयस कॉल जैसी सुविधाएं लॉन्च कीं. इन्हीं कारणों से सभी दूसरी टेलिकॉम कंपनियां रिलायंस का मुकाबला करने के लिए एकजुट होती दिख रही हैं.
आरपी/एमजे (डीपीए, पीटीआई)