शब्द तय करते हैं रिश्ते की उम्र
३ फ़रवरी २०११कॉलेज स्टूडेंट्स पर किए गए इस अध्ययन में पता चला कि जो जोड़े एक जैसी जबान बोलते हैं उनके साथ बने रहने की संभावना दूसरे लोगों के मुकाबले चार गुना ज्यादा होती है. इसकी वजह यह है कि उनके अंदर एक दूसरे से मिलने की इच्छा औरों के मुकाबले ज्यादा होती है.
टेक्सस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स पेनेबेकर शोध करने वाली इस टीम के प्रमुख हैं. वह बताते हैं, "हम लोगों के संबंधों का अनुमान खुद उन लोगों से ज्यादा लगा सकते हैं." साइकलॉजिकल साइंस नाम की पत्रिका में छपे इस अध्ययन में शब्दों को आधार बनाया गया. शोधकर्ताओं ने ऐसे शब्दों पर ध्यान दिया जो संज्ञा या क्रिया नहीं हैं. मसलन ए (a), बी (be), एनिथिंग (anything), दैट (that), विल (will), हिम (Him).
पेनेबेकर बताते हैं कि ये बहुत सामाजिक शब्द हैं और इन्हें इस्तेमाल करने के लिए कुशलता की जरूरत होती है. वह कहते हैं, "मिसाल के तौर पर अगर मैं किसी लेख के बारे में बात कर रहा हूं जो छपने वाला है, तो कुछ मिनटों बाद मैं उस लेख के लिए कोई शब्द प्रयोग करूंगा, जिससे हम दोनों समझ जाएंगे कि किस लेख की बात हो रही है."
इस अध्ययन में कॉलेज के छात्रों के 40 जोड़ों से बात की गई. इन जोड़ों ने एक दूसरे के साथ चार चार मिनट की स्पीड डेट की. इनकी बातचीत को रिकॉर्ड किया गया. पेनेबेकर के मुताबिक पता चला कि ये चुनिंदा शब्द किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति के बारे में बताने का बहुत सशक्त जरिया हैं. वह कहते हैं कि इन शब्दों के आधार पर आप बता सकते हैं कि दो लोग एक जैसी मानसिक स्थिति में हैं या नहीं.
अध्ययन के दूसरे हिस्से में पहले से ही डेटिंग कर रहे जोड़ों के बीच रोजाना भेजे जाने वाले संदेशों को आधार बनाया गया. संदेशों के जरिए हुई इस बातचीत का एक कंप्यूटर ने विश्लेषण किया और पता लगाया कि शब्दों और बातचीत का पैटर्न क्या रहा.
पेनेबेकर बताते हैं कि इस विश्लेषण के आधार पर सटीक अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन से जोड़े ज्यादा दिन तक साथ रहेंगे. वह कहते हैं कि लिखने और बोलने के अंदाज से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि किसी संबंध के सफल होने की संभावना कितनी है. पेनेबेकर ने कहा, "जितना लोगों का स्टाइल मिलता है, उनके रिश्ते की सफलता की संभावना उतनी ज्यादा है."
अध्ययन के तीन महीने बाद जब जांच की गई तो पता चला कि जिन जोड़ों का अंदाज एक जैसा था उनमें से 80 फीसदी अब भी डेटिंग कर रहे थे. इसके मुकाबले बातचीत के अलग अलग अंदाज वाले जोड़ों की डेटिंग का प्रतिशत सिर्फ 54 था.
पेनेबेकर कहते हैं कि ये शब्द और बातचीत रोजमर्रा की ऐसी सामान्य बातचीत है जिस पर लोग ध्यान ही नहीं देते. यानी आप फैसला करते नहीं हैं, यह तो आपके मुंह से निकल जाता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार