शरण कानून बदलेगा जर्मनी
१८ सितम्बर २०१५जर्मनी के आर्थिक मामलों के मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने शरण देने के मामले में आनाकानी कर रहे यूरोपीय संघ के देशों को आगाह किया है. जर्मनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार 'बिल्ड' से बातचीत में गाब्रिएल ने कहा, "यूरोप मानव सद्भावना और बंधुत्व के मूल्यों वाला समुदाय है. और जो हमारे इन मूल्यों को साझा नहीं करते हैं, वे लगातार हमारा पैसा नहीं गिन सकते हैं. अगर ऐसा जारी रहा तो यूरोप के लिए यह वित्तीय या ग्रीस संकट से ज्यादा खतरनाक होगा."
जर्मन नेताओं का इशारा हंगरी की ओर है. जर्मनी के आतंरिक मामलों के मंत्री थोमास दे मिजियेर के मुताबिक एक तरफ जर्मनी विस्थापित परिवारों के लिए स्कूल, बैरक और घर खोल रहा है तो दूसरे देश "अपनी सीमा पर कटीली तार बाड़ बिछा रहे हैं और गेट बंद कर रहे हैं." सर्बिया से लगी सीमा पर तार बाड़ बिछाने के बाद हंगरी अब क्रोएशिया बॉर्डर पर बाड़ लगा रहा है. हंगरी अपने यहां दाखिल होने वाले विस्थापितों पर आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी कर चुका है.
लेकिन हंगरी के प्रधानमंत्री पर इसका असर पड़ता नहीं दिख रहा है. अपने देश के सरकारी रेडियो से बात करते हुए प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि क्रोएशिया से लगी सीमा पर 41 किलोमीटर लंबे इलाके में फरवरी के अंत तक बाड़ लगाने का काम पूरा हो जाएगा. सर्बिया से लगी सीमा पर हंगरी 175 किलोमीटर लंबी बाड़ लगा चुका है. कटीले तारों वाली यह बाड़ 11.4 फुट ऊंची है.
क्रोएशिया ने भी सर्बिया की तरफ जाने वाले सात रास्ते बंद कर दिए हैं. शरणार्थी संकट को सुलझाने के लिए अगले बुधवार को यूरोपीय संघ की बैठक होनी है.
विस्थापितों के लिए अपनी बांहें खोलने वाला जर्मनी भी अब असमंजस में घिरता दिख रहा है. गुरुवार को जर्मनी के आप्रवासन और विस्थापन प्रशासन के प्रमुख ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इसके लिए निजी कारणों को जिम्मेदार बताया. इस बीच बर्लिन जर्मन शरणार्थी कानून में बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. प्रस्ताव के तहत शरणार्थियों को दी जाने वाली सामाजिक कल्याण की सुविधाएं कम की जाएंगी. साथ ही विस्थापितों की शरण की अर्जी पर सुनवाई भी तेजी से की जाएगी.
अब तक शरणार्थी संकट को दूर से देख रहे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी भी अब इस पर चर्चा के लिए लंदन पहुंचे हैं. लंदन में कैरी यूएई और ब्रिटिश विदेश मंत्री से मिलेंगे. यूरोप और अमेरिका का ध्यान अब रूस के प्रस्ताव की ओर भी जा रहा है. मॉस्को का कहना है कि सीरिया का संकट राष्ट्रपति बशर अल असद को साथ मिलाए बिना हल नहीं हो सकता. रूस सीरियाई राष्ट्रपति को सैन्य मदद भी मुहैया करा रहा है.
अमेरिका, सऊदी अरब और तुर्की शिया नेता बशर अल असद को पसंद नहीं करते हैं. इन तीनों देशों ने असद को सत्ता से हटाने के लिए विद्रोहियों की मदद की. लेकिन अब वहां इस्लामिक स्टेट का आतंक है. कैरी लंदन से बर्लिन जाएंगे.
ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)