अफगानिस्तान में नागरिकों का मारा जाना जारी
२८ जनवरी २०२१एआईएचआरसी के मुताबिक साल 2020 में देश में युद्ध और हिंसा के कारण 8,500 नागरिक हताहत हुए. वार्षिक रिपोर्ट में 2,958 मौतों का जिक्र है. साल 2019 में मरने वालों की संख्या 2,817 थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि के दौरान तालिबान के हमले में 4,568 नागरिकों की मौत हई या वे घायल हुए.
जबकि अज्ञात समूह के हमले में मरने वालों की और घायल हुए लोगों की कुल संख्या 2,107 है. वहीं सुरक्षा बलों को 1,188 लोगों की मौत और घायल होने का दोषी ठहराया गया है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन ने कहा, "हाल के दिनों में तालिबान ने जिम्मेदारी लिए बिना बड़े अपराध किए हैं. तालिबान ने हमारे हजारों नागरिक को मारा है."
अफगानिस्तान सरकार की तालिबान के साथ शांति वार्ता चल रही है और इस दौरान हिंसा में कोई कमी नहीं हुई. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शांति के लिए दबाव बनाया जा रहा है. पिछले साल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सरकारी कर्मचारियों और पत्रकारों की हत्या हुई थी. यही नहीं आम नागरिकों को निशाना बनाया गया था. मई के महीने में प्रसूति वार्ड में भी नई मांओं को मौत के घाट उतार दिया गया था.
एआईएचआरसी ने इन निष्कर्षों पर "गंभीर चिंता" व्यक्त की है. उसके मुताबिक आधी से अधिक मौतें तालिबान के कारण हुईं, 15 प्रतिशत सरकारी सुरक्षाबलों और उनके अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की कार्रवाई में मौतें हुई, जबकि बाकी मौतों का कारण अज्ञात संगठनों जैसे कि इस्लामिक स्टेट है.
राजनयिक चिंता जता रहे हैं कि तालिबान द्वारा हिंसा खास तौर से सफल शांति वार्ता के लिए जरूरी विश्वास को कम कर रही है. कई महीनों की देरी के बाद पिछले साल सितंबर में दोहा में शांति वार्ता की शुरूआत हुई थी. अमेरिका भी देश से धीरे-धीरे अपनी सैनिकों की संख्या कम कर रहा है और मई तक पूरी तरह से देश से सैनिकों को वापस बुला लेगा.
अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन कह चुके हैं कि उनका प्रशासन व्यवस्थाओं की समीक्षा करेगा. अधिकांश राजनयिकों और विश्लेषकों को वार्ता जारी रहने की उम्मीद है, हालांकि अमेरिकी सैनिकों की वापसी को पीछे किया जा सकता है. तालिबान के एक प्रवक्ता ने एएचआईआरसी के निष्कर्षों को खारिज करते हुए कहा है कि वे केवल सैन्य ठिकानों पर हमले करते हैं.
सरकार का कहना है कि तालिबान नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार है. एरियन के मुताबिक, "हाल के महीनों में तालिबान ने जिम्मेदारी लिए बिना कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है. जिनमें हजारों लोग मारे गए हैं."
एए/सीके (रॉयटर्स)
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