चीन ने बीबीसी वर्ल्ड न्यूज को प्रतिबंधित किया
१२ फ़रवरी २०२१बीबीसी ने चीन में उइगुर मुसलमानों के साथ बर्ताव और कोरोना वायरस महामारी पर तफसील से रिपोर्ट की थी, जिसके बाद चीन के प्रसारण नियामक ने बीबीसी पर दिशा निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इससे पहले 4 फरवरी को ब्रिटिश मीडिया नियामक ऑफकॉम ने चीन के सरकारी नियंत्रण वाले चैनल सीजीटीएन का प्रसारण लाइसेंस रद्द कर दिया था. ब्रिटेन का आरोप है कि चैनल ने देश के नियम का उल्लंघन किया. साथ ही जांच में पाया गया था कि चैनल का संबंध चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भी है. चीन के राष्ट्रीय रेडियो और टेलीविजन प्रशासन (एनआरटीए) ने गुरुवार को बीबीसी वर्ल्ड न्यूज पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रसारणकर्ता ने देश के प्रसारण नियमों का "गंभीर उल्लंघन" किया है. एनआरटीए ने एक बयान में कहा चीन पर बीबीसी वर्ल्ड न्यूज की रिपोर्ट ने ब्रॉडकास्टिंग नियमों का उल्लंघन किया, जिसमें "समाचार की सत्यता और निष्पक्षता" और "चीन के राष्ट्रीय हित का उल्लंघन करना शामिल है."
बयान में कहा गया है कि इन कारणों से बीबीसी वर्ल्ड न्यूज चीन में विदेशी प्रसारकों के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करता है और उसे अगले साल प्रसारण जारी रखने की मंजूरी नहीं दी जाएगी. बीबीसी वर्ल्ड ने शिनजियांग और चीन के कोविड-19 से निपटने जैसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग की थी. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस टेलीविजन अंग्रेजी में प्रसारित होता है. यह चीन के अधिकांश टीवी चैनल पैकेजों में शामिल नहीं है लेकिन कुछ होटलों और घरों में यह चैनल उपलब्ध है. चीन में मौजूद समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो संवाददाताओं ने बताया है कि चैनल उनके टीवी से गायब हो गया है. दूसरी ओर बीबीसी ने एक बयान में कहा, "हम निराश हैं कि चीनी अधिकारियों ने यह रास्ता अपनाया है. बीबीसी दुनिया का सबसे भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय ब्रॉडकास्टर है और बिना किसी डर या पक्षपात के रिपोर्ट करता है."
चीन के कदम की आलोचना
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा, "यह मीडिया के जरिए सच की आवाज को रोकने की साजिश है. हम इस प्रतिबंध के खिलाफ हैं." अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि अमेरिका चीन के इस कदम का विरोध करता है. उन्होंने कहा, "यह चिंतित करता है कि (चीन) स्वतंत्र रूप से काम कर रहे मीडिया संस्थानों को प्रतिबंधित करता है और जबकि चीनी नेता विदेश में स्वतंत्र वातावरण में काम कर रहे मीडिया का इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने के लिए करते हैं."
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों को जबरन कैंपों में रखने का आरोप लगता आया है और उसके "सुधार केंद्रों" की दुनिया भर में आलोचना होती रही है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन कैंपों में उइगुरों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के दस लाख से अधिक सदस्यों को जबरन रखा गया है.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
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