शीत युद्ध के बाद नाटो का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास
२५ अक्टूबर २०१८शीतयुद्ध के दौरान बनाए गए पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन नाटो यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन में शामिल सेनाओं ने नॉर्वे में एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू किया है. इसे ट्रिडेंट जंक्चर का नाम दिया गया है. इस सैन्य अभ्यास को शीत युद्ध के बाद नाटो का सबसे बड़ा अभ्यास माना जा रहा है. इसमें 50 हजार सैनिक, 10 हजार सैन्य वाहन, 250 विमान, 65 पोत और 29 सदस्य देशों के अलावा स्वीडन और फिनलैंड भी हिस्सा ले रहे हैं. नॉर्वे में दो हफ्ते तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास का मकसद नाटो की वेरी हाई रेडिनेस ज्वाइंट टास्क फोर्स (वीजेटीएफ) और अन्य सैन्य बलों की शक्तियों को जांचने के साथ-साथ प्रशिक्षण देना है.
रूस ने 2014 में जब यूक्रेन के क्रीमिया प्रायदीप पर कब्जा कर लिया और वहां पनप रहे अलगाववादियों को समर्थन दिया तो इसके जबाव में नाटो ने वीजेटीएफ का गठन किया था.
नॉर्वे की सीमा से सटे रूस को इस सैन्य अभ्यास की निगरानी के लिए आमंत्रित किया गया है. लेकिन रूस ने इस अभ्यास की निंदा की है. रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा, "शीत युद्ध के बाद से अब रूस की सीमा के आसपास नाटो की सैन्य गतिविधियां अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गई हैं. टिड्रेंट जंक्चर में सैन्य कार्रवाई का अभ्यास हो रहा है." वैसे रूस भी नियमित रूप से सैन्य अभ्सास करता रहता है.
नाटो के इस सैन्य अभ्यास में शामिल सेनाएं एक "काल्पनिक आक्रमणकारी" से नॉर्वे की संप्रभुता की रक्षा करने की कोशिश करेंगी. इसमें सैन्य बलों की तत्परता को आंका जाएगा. ये अभ्यास मध्य और पूर्वी नॉर्वे समेत उत्तरी अटलांटिक और बाल्टिक सागर के क्षेत्र में सात नवंबर तक चलेगा.
जर्मनी की सेना इस सैन्य अभ्यास में अपने आठ हजार सैनिकों, चार हजार सैन्य वाहनों, लड़ाकू विमानों और तीन पोतों के साथ हिस्सा ले रही है. अमेरिका के बाद जर्मनी की भागीदारी इस अभ्यास में सबसे अधिक है. 2019 में जर्मनी एक साल के लिए नाटो के वीजेटीएफ दल का नेतृत्व संभालेगा.
एए/आईबी (एपी, एएफपी)