संयुक्त राष्ट्र पर नस्लवाद का आरोप
२० अगस्त २०२०संयुक्त राष्ट्र पर नस्लवाद का आरोप लगा है और यह आरोप लगाने वाले खुद संगठन के अपने कर्मचारी हैं. यह आरोप तब लगे जब संगठन ने एक सर्वेक्षण जारी किया जिसमें एक सवाल यह भी था कि कर्मचारी खुद को कैसे पहचानता है. जवाब के विकल्पों में "येल्लो" शब्द शामिल था, जिस पर कर्मचारियों ने आपत्ति की.
"नस्लवाद पर संयुक्त राष्ट्र के सर्वेक्षण" को बुधवार को हजारों कर्मचारियों के पास भेजा गया. सर्वेक्षण के साथ संलग्न ईमेल में लिखा था कि उसे संगठन के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के "नस्लवाद को मिटाने और सम्मान को बढ़ावा देने के अभियान" के तहत किया जा रहा है.
लेकिन कई कर्मचारियों ने रॉयटर्स को बताया कि पहले सवाल में ही "येल्लो" को एक विकल्प के रूप में लिख कर एशियाई लोगों के प्रति पश्चिमी नस्लवादी धारणा को दर्शा दिया. अन्य विकल्पों में काला, भूरा, श्वेत, मिश्रित/बहु-नस्ली और अन्य शामिल थे.
नाम अज्ञात रखने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कहा, "पहला सवाल पागलपन भरा और अत्यंत अपमानजनक है. मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे विविधताओं वाले एक संगठन में इतने बड़े सर्वेक्षण के लिए इस सवाल को जारी करने की स्वीकृति मिल कैसे गई?" संयुक्त राष्ट्र ने सर्वेक्षण पर टिप्पणी के अनुरोध पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के वैगनर ग्रैजुएट स्कूल ऑफ पब्लिक सर्विस में एसोसिएट प्रोफेसर एरिका फोल्डी का कहना है कि इस शब्द का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने बताया, "एशियाई मूल के लोगों के लिए "येल्लो" शब्द का इस्तेमाल करना एक अपशब्द जैसा है. इसका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होना चाहिए. लेकिन इसके साथ यह भी याद रखना उपयोगी रहेगा कि नस्लवाद से जुड़ी भाषा जटिल होती है और निरंतर बदलती रहती है."
उन्होंने यह भी समझाया, "ब्राउन को भी पहले अपशब्द जैसा ही माना जाता था, लेकिन हाल ही में उसका काफी इस्तेमाल स्वीकार्य हो गया है. लेकिन मुझे "येल्लो" के साथ ऐसा होता नजर नहीं आता."
रॉयटर्स ने सर्वेक्षण के साथ संलग्न ईमेल को देखा है, और उसमें लिखा है, "ये सर्वेक्षण हमें संयुक्त राष्ट्र में नस्लवाद की गहराई को समझने के लिए आवश्यक डाटा उपलब्ध कराएगा." ईमेल में यह भी लिखा है, "हम इस मुद्दे से अछूते नहीं हैं."
मई में अश्वेत अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद दुनिया भर में हो रहे प्रदर्शनों की वजह से संगठनों और कंपनियों पर नस्लवाद को संबोधित करने का दबाव बढ़ गया है.
सीके/एके (रॉयटर्स)
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