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समय के पाबंद जर्मन

९ अप्रैल २०१३

"हम समय के पाबंद हैं, हमारा ड्रेसिंग सेंस खराब है और हममें सेंस ऑफ ह्यूमर बिलकुल नहीं है", क्या सच में जर्मन ऐसे हैं. जर्मनों की आदतों के बारे में हम आपके लिए ला रहे हैं एक सीरीज. आज बात उनकी समय की पाबंदी पर.

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तस्वीर: Joe Raedle/Getty Images

जर्मन हमेशा समय पर आते हैं. क्या यह सही है या गलत? पीटर जुडेइक पता लगा रहे हैं कि क्या जर्मनों को समय का पाबंद होने की बीमारी है या घड़ी देखने की आदत भर है.

जर्मन सामान्य तौर पर वक्त के पाबंद होते हैं और उन्हें इसका गर्व है. इतना ही नहीं आप अपनी घड़ी उनके टाइम से मिला सकते हैं. वैसे तो जर्मनों ने घड़ी ईजाद नहीं की लेकिन जब घड़ी पर चलने की बात आती है तो वह खुद किसी घड़ी से कम नहीं पड़ते.

अगर वो समय के पाबंद नहीं होते तो निश्चित ही कोई आपदा आन पड़ती.

जर्मनों के पाबंद होने का ही नतीजा है कि जर्मनी में बसें, ट्रेन, विमान सभी समय पर आते जाते हैं और जो भी इससे इनकार करता है उसका निश्चित ही कोई स्क्रू ढीला है. सामान्य तौर पर, अपवाद छोड़ दिए जाएं तो सभी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी वक्त पर बन जाते हैं, सामान्य तौर पर. और अगर वह समय पर पूरे नहीं हो पाते तो इसमें किसी और की गलती होती है या फिर वहां तोड़ फोड़ हुई होती है.

जर्मन कहते हैं पाबंद राजाओं की विनम्रता को दर्शाती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जर्मन इसलिए वक्त पर रहते हैं क्योंकि वे नवाबी हैं. वे तो बस ऐसे ही हैं.
जर्मनी के दर्शन शास्त्री इमानुएल कांत के बारे में कहा जाता है कि वह रोज सुबह पांच बजे उठते, सात बजे यूनिवर्सिटी जाते, नौ से एक बजे तक अपनी किताबों पर काम करते, फिर साढ़े तीन बजे एक वॉक लेते, प्रशिया के कोनिग्सबर्ग की लिंडनएली में सात बार चक्कर लगाते, कभी कम या ज्यादा नहीं, रोज दस बजे रात को सो जाते. जर्मनों के वक्त की पाबंदी की बात जब की जाती है तो कांत इसका आदर्श उदाहरण हैं.

हालांकि ऐसा नहीं कि सभी जर्मन उनके ही जैसे हैं या उनका अनुकरण करते ही हों. लेकिन वे कोशिश जरूर करते हैं.

करीब 85 प्रतिशत जर्मन कहते हैं कि वे अपनी अपॉइन्टमेंट गंभीरता से लेते हैं. जर्मनी में नियम है कि एक मिनट देर से पहुंचने से बेहतर है पांच मिनट जल्दी पहुंचें.
एक जर्मन कहावत कहती है, मिस्त्री की तरह पाबंद. खास कर ईंट उठाने वाले मजदूर तो समय के भारी पाबंद होते हैं जब छुट्टी का समय हो जाता है तो यह पाबंदी बखूबी दिखती है. कहा जाता है कि वह अपनी शिफ्ट से एक सेकंड भी ज्यादा काम नहीं करते. यह भी जर्मनी की एक परंपरा है, ठीक वक्त की पाबंदी की तरह.

रिपोर्ट:पीटर जुडेइक/आभा मोंढे

संपादन: ईशा भाटिया

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