समलैंगिक होने के कारण छिनी नौकरी
१८ मार्च २०१९तुर्की में अनातोलिया के पूर्व में तैनात 34 वर्षीय पुलिस अधिकारी मतिन को केवल इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया क्योंकि वह समलैंगिक हैं. मतिन कहते हैं, "जब उन्हें पता चला तभी मैंने सोचा, 'यह मेरी नौकरी ले कर ही जाएगा'."
वह बहुत परेशान थे और समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. उन्हें ज्यादा चिंता इस बात की थी कि उनके सीनियर अधिकारी उनके बारे में क्या सोचेंगे या उन्हें कैसे शर्मिंदा करेंगे. तब उनके ख्याल में यह नहीं आ रहा था कि अगर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया तो फिर वे क्या करेंगे.
उनकी मुश्किलों की शुरुआत तब हुई जब "यौन हिंसा" के मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा. और फिर एक पुरुष के साथ अंतरंग संबंध रखने के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. तुर्की के वान शहर में मिले इस शख्स के साथ वे पिछले दो साल से संबंध में थे. उनकी यौन प्राथमिकता के बारे में ना तो उनके परिवार, ना ही उनके दोस्तों को पता था.
अचानक सब तबाह हो गया
एक दिन जब मतिन और उनके पार्टनर पुलिस कैंटीन में बैठे चाय पी रहे थे, तो मतीन को दफ्तर के भीतर बुलाया गया. जब वह वापस लौटे तब तक उनका पार्टनर वहां से गायब था. पता चला कि उसे पूछताछ के लिए ले जाया गया था. मतिन बताते हैं कि कैसे उनका पार्टनर घबरा गया और झूठ बोल दिया कि वह भी पुलिस अधिकारी है. जाहिर है कि यह झूठ तुरंत पकड़ा गया और फिर उसे नकली परिचय देने के लिए जेल में डाल दिया गया.
पूछताछ की प्रतिलिपि पढ़ कर उन्हें पता चला कि उनके पार्टनर ने पुलिस से क्या कुछ कहा. उसने बयान दिया था कि मतिन ने उस पर अपने साथ यौन संबंध बनाने का दबाव डाला था और वह मतिन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहता है. इस बयान के आधार पर मतिन पर "यौन हिंसा" का आरोप लगाया गया. हालांकि पार्टनर ने बाद में अपनी शिकायत वापस ले ली लेकिन मतिन को फिर भी जेल में आठ दिन बिताने पड़े. सबूतों के अभाव में अंतत: उन पर आगे कार्रवाई नहीं हो सकी.
सहकर्मियों ने किया अलग थलग
इसके बाद मतिन को छुट्टी पर भेज दिया गया और फिर 2017 की गर्मियों में उनकी दूर ब्लैक सी कोस्ट इलाके में ड्यूटी लगा दी गई. बेहद मायूस होकर मतिन कहते हैं कि कैसे उनके पुराने सहकर्मियों ने उन्हें अलविदा तक नहीं कहा. लेकिन उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. नवंबर 2018 में अनुशासन समिति का फैसला आया कि "अप्राकृतिक संबंध में होने के कारण किसी सिविल सर्वेंट को नौकरी से निकाला जा सकता है." इसके बाद मतिन को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
मतिन हैरानी से कहते हैं, "यह मेरे निजी जीवन का मामला है. मैंने अपना काम हमेशा गंभीरता से लिया और काम को लेकर मेरी कभी कोई शिकायत नहीं आई." वह बहुत ही मायूसी से पूछते हैं, "अगर मुझे अपनी जिंदगी को अपनी तरह जीने की अनुमति ही नहीं है तो फिर मैं जी ही क्यों रहा हूं?"
कैसे कर रहे हैं सामना
मतिन कोर्ट में अपनी बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती दे रहे हैं. उनके वकील फिरात सोएल की दलील है कि उनके मुवक्किल को हटाना कानून के खिलाफ है. तुर्की के संवैधानिक कोर्ट में निजता के कानून के अनुसार "लोग अपनी व्यक्तिगत वरीयता और इच्छा के अनुसार जीवन जी सकते हैं."
तुर्की में एलजीबीटी समुदाय के लोगों का हाल बताने वाले संगठन बताते हैं कि वैकल्पिक यौन वरीयता वाले लोगों को कई जगहों पर दबाव झेलना पड़ता है और कामकाज के क्षेत्र में साल 2016 के सैन्य तख्तापलट की कोशिश के बाद से ही ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है. न्याय के क्षेत्र में भी एलजीबीटी और अन्य वरीयता वाले लोगों को भी नौकरी से निकाला गया है.
इस्तांबुल के एक सामाजिक नीति विशेषज्ञ मुस्तफा सुरिलमाज बताते हैं कि एक लोकतांत्रिक राज्य को किसी के लिंग या लैंगिक वरीयता के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए. वे कहते हैं कि तुर्की को यूरोपीय परिषद और संयुक्त राष्ट्र के अन्य देशों की ही तरह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना चाहिए.
उधर, तमाम नौकरियों के लिए आवेदन भेजने के बावजूद फिलहाल मतिन अब भी बेरोजगार हैं. उन्हें सिर्फ एक ही उम्मीद है कि एक दिन अदालत उन्हें पुलिस की नौकरी में वापस बहाल करेगी.
बुरचु काराकास/आरपी