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कोरोना: खुल गई है तैयारी की कमी की पोल

चारु कार्तिकेय
१९ अप्रैल २०२१

अस्पतालों में बिस्तरों, दवाओं और ऑक्सीजन के संकट ने केंद्र और राज्य सरकारों की तैयारी की कमी की पोल खोल दी है. साफ नजर आ रहा है कि अक्टूबर से फरवरी तक जब महामारी का असर कम था, उस दौरान आगे के लिए कोई तैयारी नहीं की गई.

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Indiens Krankenhäuser aufgrund der COVID-19-Pandemie
तस्वीर: Ajit Solanki/AP Photo/picture alliance

भारत में सितंबर 2020 में लगातार 90,000 से ऊपर संक्रमण के नए मामलों के आने के बाद स्थिति कुछ सुधरने लगी थी. सितंबर के मध्य से फरवरी 2021 के मध्य तक यही आंकड़े रोजाना 90,000 मामलों से गिर कर रोजाना 9,000 मामलों से कम पर आ गए थे और पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को थोड़ी राहत मिली थी.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस राहत का इस्तेमाल आंकड़ों को देखकर आगे की स्थिति के बारे में अनुमान लगाने और स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूत करने में किया जा सकता था. लेकिन इस समय देश में जो हालात हैं उन्हें देख कर लगता है कि आम लोग ही नहीं बल्कि सरकारों के लिए भी संक्रमण की यह ताजा लहर चौंकाने वाली साबित हुई है.

यही कारण है कि संक्रमण के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि के बीच हर राज्य से अस्पतालों में बिस्तरों की, ऑक्सीजन की और आवश्यक दवाओं की कमी की खबरें आ रही हैं. ऑक्सीजन के भारी संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल से ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऑक्सीजन बनाने वालों और सप्लाई करने वालों को सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सप्लाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

Indiens Krankenhäuser aufgrund der COVID-19-Pandemie
कोलकाता में एक कोविड संक्रमित महिला एम्बुलेंस में बैठ अस्पताल में भर्ती होने का इंतजार कर रही है.तस्वीर: Debarchan Chatterjee/NurPhoto/picture alliance

स्टील संयंत्र, दवा उद्योग, पेट्रोलियम रिफाइनरी जैसे नौ उद्योगों को इस आदेश से बाहर रखा गया है. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर संक्रमण के फैलने की रफ्तार कम नहीं हुई तो इस तरह के कदम भी बेकार हो जाएंगे. पिछले 24 घंटों में देश में 2,73,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए हैं.

संक्रमण पर काबू पाने के लिए कई राज्य पिछले कुछ हफ्तों से रात के और सप्ताहांत के कर्फ्यू का सहारा ले रहे हैं, लेकिन अब कुछ राज्यों ने तालाबंदी की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया है. दिल्ली में 19 अप्रैल की रात से 26 अप्रैल सुबह तक तालाबंदी लगा दी गई है. इस दौरान सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े संस्थान खुले रहेंगे और उनसे जुड़े लोगों को आवाजाही की अनुमति मिलेगी. सभी निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सुविधा देने के लिए कहा गया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रवासी श्रमिकों से अपील की है कि इस बार तालाबंदी की अवधि छोटी है, इसलिए वो शहर छोड़ के ना जाएं, लेकिन उनके लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं इस बार में विस्तार से घोषणा अभी नहीं हुई है. इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा को लेकर चर्चा हो रही है.

Indiens Krankenhäuser aufgrund der COVID-19-Pandemie
दिल्ली में एक श्मशान घाट पर एक साथ जलतीं कई चिताएं.तस्वीर: Vijay Pandey/ZUMAPRESS.com/picture alliance

जॉनसन का 25 अप्रैल को दिल्ली आना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना तय है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन हालत में एक राजकीय दौरा आयोजित करना सही रहेगा. ब्रिटेन में भी विपक्षी पार्टियां यही सवाल उठा रही हैं और जॉनसन से यात्रा रद्द कर देने की अपील कर रही हैं. जॉनसन से अभी तक इस पर कुछ नहीं कहा है.

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