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सियासत के बीच कैसी है जम्मू-कश्मीर की स्थिति

रवि रंजन
२६ अगस्त २०१९

जम्मू-कश्मीर में लोग अभी भी अपने घरों में कैद हैं. गलियों में सन्नाटा पसरा है. सड़कों पर सार्वजनिक वाहन नहीं चल रहे हैं. लोग अनिश्चितकालीन कर्फ्यू के बीच जिंदगी जीने की जद्दोजहद में लगे हैं.

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Indien Kaschmir-Konflikt nach Änderung Artikel 370
तस्वीर: AFP/R. Bakshi

भारत के जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटे हुए करीब तीन सप्ताह हो गए हैं लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं आया है. सुरक्षाबलों द्वारा की गई घेराबंदी जारी है. स्थिति तनावपूर्ण है. राज्य के कई जगहों से विरोध-प्रदर्शन और पत्थरबाजी की भी खबरें आ रही है. जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग जिले में पत्थरबाजी की घटना में एक ट्रक चालक की मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में दो युवकों को गिरफ्तार किया है. बिजबेहरा के रहने वाले नूर मोहम्मद डार के ट्रक को लोगों ने गलती से सुरक्षा वाहन समझ लिया और उन्हें पत्थरों से निशाना बनाया. डार को सिर में चोट लगी थी, उन्हें शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसकेआईएमएस) श्रीनगर में भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

कश्मीर की स्थानीय पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी इतिहाद पार्टी और जेएंडके पीपुल्स मूवमेंट जैसे छोटे समूहों के नेता नजरबंद हैं. इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, लगभग सभी पूर्व राज्य मंत्री, श्रीनगर के डिप्टी मेयर और काफी संख्या में विधायक शामिल हैं. कई जगहों पर प्रखंड स्तर के नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया है. फोन और इंटरनेट काम नहीं कर रहे हैं. लोग अपने परिजनों का हाल तक नहीं ले पा रहे हैं. किसी भी मोहल्ले में एक साथ 10 या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है.

  

Kaschmir | Proteste in Kaschmir
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

सचिवालय से हटा जम्मू-कश्मीर राज्य का झंडा

विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिए जाने के बाद श्रीनगर स्थित सचिवालय से रविवार (25 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर राज्य का झंडा हटा दिया गया है. हालांकि, राज्य का झंडा हटाने को लेकर किसी तरह का आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया.  राज्य का विशेष झंडा जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य की तीन पहचानों में से एक था. अन्य दो पहचान में एक अलग संविधान और दूसरा अलग दंड प्रक्रिया संहिता थी. 5 अगस्त को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने के बाद भी राज्य के झंडे को सचिवालय पर फहराया जा रहा था लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रविवार को राज्य का झंडा नहीं फहराया गया. 

सरकार के दावे को विपक्ष ने किया खारिज

केंद्र सरकार का कहना है कि कश्मीर में स्थिति सामान्य बनी हुई है. वहीं, विपक्ष ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. पार्टी प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर जाने से रोकने के बाद कांग्रेस ने केंद्र के दावे को खारिज कर दिया. कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक की टिप्पणी को भी खारिज कर दिया, जिन्होंने राज्य में संचार सेवाएं बंद किए जाने को लेकर केंद्र का बचाव किया था और कहा था कि इससे 'जान बचाने' में मदद मिली.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मलिक को जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए क्योंकि उनका व्यवहार और बयान बीजेपी नेता जैसा है.

मायावती के कांग्रेस पर ही साधा निशाना

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल द्वारा जम्मू-कश्मीर जाने के फैसले पर सवाल उठाया है. मायावती ने ट्वीट कर कहा, "बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखंण्डता के पक्षधर रहे हैं, इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई पक्ष में नहीं थे. इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाए जाने का समर्थन किया."

मायावती ने आगे कहा, "देश में संविधान लागू होने के लगभग 69 वर्षों के उपरांत इस धारा 370 की समाप्ति के बाद अब वहां पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा. ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केंद्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा कदम नहीं है? वहां पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता."

फ्रांस में मोदी से चर्चा करेंगे ट्रंप

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस में हैं जहां वे जी7 सम्मलेन में हिस्सा लेने आए अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे और कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा करेंगे. ट्रंप पिछले तीन हफ्तों में तीन बार भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश कर चुके हैं. हालांकि भारत इसे अपना अंदरूनी मामला बताता है और इस पूरे मुद्दे पर किसी विदेशी हस्तक्षेप से दूर रहना चाहता है.

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