सुंदरबन पर मंडरा रहा है सुपर साइक्लोन अम्फान का खतरा
१९ मई २०२०मौसम विभाग के मुताबिक अम्फान तूफान के दो सौ किमी से भी ज्यादा रफ्तार से सुंदरबन इलाके से टकराने का अंदेशा है. मौसम विज्ञानियों और पर्यावरणविदों ने अम्फान से इलाके को भारी नुकसान का अंदेशा जताया है. सरकार ने इलाके के कई द्वीपों से लगभग ढाई लाख लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. इसके लिए तीन सौ शेल्टर होम खोले गए हैं. लेकिन कोरोना महामारी के इस दौर में इन शेल्टर होम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना सरकार के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है. यह बात मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मानती हैं. हालांकि सरकार ने इस तूफान से निपटने के लिए तमाम जरूरी तैयारियों का दावा किया है. लेकिन सुंदरबन इलाके में आइला तूफान के समय बांधों को जो नुकसान पहुंचा था वह इलाके के द्वीपों की चिंता बढ़ा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक में तूफान औऱ इससे पैदा होने वाली संभावित परिस्थिति की समीक्षा की थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी एक बैठक में तैयारियों का जायजा लिया है. तूफान की निगरानी के लिए सरकार ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन कर सचिवालय में एक कंट्रोल रूम खोला है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने तूपान के दौरान आम लोगों के लिए "क्या करें और क्या नहीं करें" का एक दिशानिर्देश भी जारी किया है.
आइला और बुलबुल तूफान का कहर
25 मई, 2009 को आए आइला तूफान ने सुंदरबन इलाके को तहस-नहस कर दिया था. तब ज्यादातर बांध टूट गए थे और बाकी में दरारें पड़ गई थीं. अब ठीक 11 साल बाद इलाके पर अम्फान का खतरा है. बांधों की दुर्दशा ने इलाके के लोगों की चिंता बढ़ा दी है. शेल्टर होम में रहने की वजह से जान भले बच जाए, तूफान से संपत्ति और खेतों को पहुंचे नुकसान की भरपाई जल्दी संभव नहीं होगी. पाथरप्रतिमा की रहने वाली सविता गिरि कहती हैं, "आइला से हुए नुकसान की यादें हमारे जेहन में अब भी ताजा हैं. अब अम्फान ने हमारी चिंता बढ़ा दी है. यहां बांधों की हालत खस्ता है.” आइला के बाद फनी और बुलबुल तूफानों ने भी इलाके के बांधों और तटबंधों को भारी नुकसान पहुंचाया है. तूफान के दौरान खारा पानी नदियों के रास्ते खेतों में आने के वजह से वह खेती के लायक नहीं रहे हैं. इसी वजह से इलाके के हजारों युवक रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में चले गए हैं. अब धीरे-धीरे सुंदरबन इलाके के लोग सामान्य स्थिति में लौट ही रहे थे कि अम्फान ने एक नई मुसीबत पैदा कर दी है.
सुंदरबन मामलों के मंत्री मंटूराम पाखिरा कहते हैं, "सरकार ने तूफान से निपटने की तमाम तैयारियां कर ली हैं. हर ब्लॉक में आपात स्थिति में बांधों की मरम्मत का भी इंतजाम किया गया है. इलाके के ज्यादातर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है. केंद्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन बल की कई टीमों को इलाके में तैनात कर दिया गया है.” वन मंत्री राजीव बनर्जी ने भी विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक में सुंदरबन में तूफान से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की है.
कोलकाता में मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक जीसी दास कहते हैं, "इस चक्रवाती तूफान का सुंदरबन पर भारी असर होगा. हम इस पर नजदीकी निगाह रख रहे हैं. यह तूफान 200-220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुधवार दोपहर से शाम के बीच सुंदरबन इलाके से टकराएगा. अगले 24 घंटे बेहद कठिन हैं. यह पश्चिम बंगाल के दीघा और बांग्लादेश के हटिया द्वीप के बीच जमीन से टकराएगा.” पश्चिम बंगाल के उत्तर व दक्षिण 24-परगना जिले के अलावा पूर्व मेदिनीपुर जिलों में अम्फान का सबसे ज्यादा असर होगा. इसके अलावा कोलकाता समेत राज्य के कई तटीय इलाकों में भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग ने राज्य के तटीय जिलों में अलर्ट जारी करते हुए मछुआरों को 20 मई तक समुद्र में नहीं जाने की चेतावनी दी है. उसने मंगलवार और बुधवार को तटीय इलाकों में भारी बारिश और 120 से 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की भविष्यवाणी की है.
विश्व धरोहर में बड़े नुकसान की आशंका
सुंदरबन में जलवायु परिवर्तन के असर पर शोध करने वाले जादवपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरणविद् डा. सुगत हाजरा कहते हैं, "सुंदरबन इलाका पहले ही आइला समेत कई तूफानों की मार से जर्जर है. अब अम्फान के पूरी ताकत से टकराने की स्थिति में नुकसान का अनुमान लगाना भी मुश्किल है. लोगों को निचले द्वीपों से हटा कर उनकी जान बचाने में भले कामयाबी मिल जाए, संपत्ति के नुकसान के आंकड़े भयावह होंगे.” जादवपुर विश्वविद्यालय के समुद्र विज्ञान विशेषज्ञ तूहिन घोष कहते हैं, "सुंदरबन को बाढ़ और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मैंग्रोव पेड़ों की खास भूमिका रही है. लेकिन तूफान की वजह से इस जंगल को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इस नुकसान की जल्दी भरपाई भी संभव नहीं है.” सुंदरबन में दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल है. यह भारत और बांग्लादेश में करीब 10,000 वर्गकिलोमीटर के इलाके में फैला है. इसमें से 6000 वर्गकिलोमीटर बांग्लादेश में है तो 4000 वर्गकिलोमीटर भारत के पश्चिम बंगाल प्रांत में. यह रॉल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा संरक्षित इलाका भी है. 1987 से सुंदरबन यूनेस्को का विश्व धरोहर है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एक उच्च-स्तरीय बैठक में अम्फान से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की है. उन्होंने बताया, "तटीय इलाकों में एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं और निचले इलाकों से लोगों को शेल्टर होम में पहुंचाया जा रहा है. इलाके में तिरपाल के अलावा पर्याप्त राहत सामग्री का स्टॉक जुटाया जा रहा है.” मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि सुदंरबन के लगभग ढाई लाख लोगों को स्थायी राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है. कोरोना काल में इन शिविरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बड़ी चुनौती है. ममता बनर्जी कहती हैं, "प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पहले इससे जान बचाना प्राथमिकता होती है. ऐसे में शायद सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन संभव नहीं हो सके."
राज्य के गृह सचिव आलापन बनर्जी बताते हैं, "पूरा सरकारी तंत्र तूफान से पैदा होने वाली परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है. एनडीआरएफ की टीमों को बचाव और राहत कार्य के लिए मौके पर भेज दिया गया है. एनडीआरएफ के अलावा भारतीय तटरक्षक बल को भी अलर्ट कर दिया गया है.” मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र बताते हैं, "अक्टूबर 1999 के बाद पहली बार बंगाल की खाड़ी में कोई सुपर साइक्लोन बना है. इसकी अधिकतम रफ्तार 220-240 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है.”
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