सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा बाजार बनता भारत
२७ मार्च २०१७भारत सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा बाजार बन सकता है. अब भी देश के तीस करोड़ लोग बिजली से वंचित हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाया जा सके तो इससे जीडीपी दर भी बढ़ेगी और भारत सुपर पावर बनने की राह पर भी आगे बढ़ सकेगा. दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि अगले तीन साल में देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ कर 20 हजार मेगावाट हो जाएगा. वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग सात गुनी बढ़ने की संभावना है. इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए अब विदेशी कंपनियों की निगाहें भी भारत पर हैं.
कामयाबी
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल आंकड़ों के हवाले से बताते हैं कि बीते तीन साल में भारत में सौर ऊर्जा का उत्पादन अपनी स्थापित क्षमता से चार गुना बढ़ कर 10 हजार मेगावाट पार कर गया है. यह फिलहाल देश में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता का 16 फीसदी है. गोयल कहते हैं, "सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ा कर स्थापित क्षमता का 60 फीसदी करना है. बीते तीन साल में ऊर्जा क्षेत्र की तस्वीर बदल गई है." वह कहते हैं कि देश धीरे धीरे हरित ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. सरकार की दलील है कि सौर ऊर्जा की लागत में कमी आने की वजह से अब यह ताप बिजली से मुकाबले की स्थिति में है.
ऊर्जा विशेषज्ञ भी गोयल की बातों से सहमत हैं. मुंबई स्थित इंस्टीट्यूट आफ केमिकल टेक्नॉलजी के वाइस-चांसलर जीडी यादव कहते हैं, "अर्थव्यवस्था मजबूत होने और जीडीपी की विकास दर 9.5 फीसदी होने पर भारत सुपर पावर बन सकता है. लेकिन इसके लिए सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना होगा. बेहतर भविष्य में इसका योगदान बेहद अहम है." नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से सौर ऊर्जा पर आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार में यादव ने कहा कि आबादी और आय ऊर्जा की मांग बढ़ने की अहम वजहें हैं. वह कहते हैं, "वर्ष 2040 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है. भविष्य की इस मांग को सौर ऊर्जा से पूरा करने की दिशा में ठोस प्रयास होने चाहिए."
सलाहकार फर्म ए टी केरनी लिमिटेड के पार्टनर अभिषेक पोद्दार कहते हैं, "सोलर मॉड्यूल की कीमत घटने से सौर ऊर्जा की दरें भी कम हुई हैं. इस वर्ष मांग के मुकाबले आपूर्ति बढ़ने की वजह से मॉड्यूल की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद है."
विदेशी निगाहें
दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद बिजली की खपत वाले तीसरे बड़े देश भारत ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट हरित ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा सौ गीगावॉट होगा. यही वजह है कि अब विदेशी कंपनियों की निगाहें भी इस क्षेत्र पर टिकी हैं.
यूरोप में तेल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी टोटल के मालिकाना हक वाली कंपनी सनपावर के सीईओ टाम वर्नर ने हाल में कहा था कि इस क्षेत्र के विकास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी की वजह से भारत सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा. सनपावर महिंद्रा समूह की एक कंपनी के साथ राजस्थान में पांच मेगावॉट क्षमता वाला एक सौर ऊर्जा सयंत्र लगाने का काम कर रही है. इससे ग्रामीण इलाके के 60 हजार घरों तक बिजली पहुंचेगी.
सनपावर अकेली ऐसी कंपनी नहीं है. टेस्ला की निगाहें भी भारत पर हैं और वह जल्दी ही साझा उद्यम के जरिए यहां कदम रख सकती है. कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने बीती फरवरी में एक ट्वीट में यह खुलासा किया था.
कारोबारी पत्रिका ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने भारत की फोटोवोल्टिक क्षमता को बढ़ाने के लिए सोलर पैनल निर्माण उद्योग को 210 अरब रुपए (3.1 अरब अमेरिकी डालर) की सरकारी सहायता देने की योजना बनाई है. समझा जाता है ‘प्रयास' नामक इस योजना के तहत सरकार वर्ष 2030 तक कुल ऊर्जा का 40 फीसदी हरित ऊर्जा से पैदा करना चाहती है. वर्नर कहते हैं, "सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार के कृतसंकल्प की वजह से निकट भविष्य में यहां इस क्षेत्र में तेजी से विकास होगा."
फिनलैंड के एक विश्वविद्यालय के सौर ऊर्जा विशेषज्ञों ने भी भारत में सौर ऊर्जा के बेहतर भविष्य की बात करते हुए भंडारण तकनीक को मजबूत करने की सलाह दी है. मार्च महीने में 14 से 16 तारीख के बीच आयोजित 11वें इंटरनेशनल रीन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज कांफ्रेस के दौरान प्रस्तुत हुए एक पेपर में आशीष गुलागी, दमित्री बोग्दानोव और क्रिश्चियान ब्रेयर ने यह बात कही है. इसमें कहा गया है कि भारत ने हाल के वर्षों में हरित ऊर्जा की संभावनाओं के दोहन के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. लेकिन इस ऊर्जा के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की राह में संतुलन बनाने के लिए भंडारण क्षमता मजबूत करना भी जरूरी है.
भारत में बीते एक दशक के दौरान बढ़ती आबादी, आधुनिक सेवाओं तक पहुंच, विद्युतीकरण की दर तेज होने और सकल घरेलू आय (जीडीपी) में वृद्धि की वजह से ऊर्जा की मांग काफी बढ़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस मांग को सौर ऊर्जा के जरिए आसानी से पूरा किया जा सकता है.