हंगरी में इमरजेंसी पर यूरोपीय आयोग ने जताई चिंता
३ अप्रैल २०२०कोरोना संकट से निपटने के लिए दुनिया का हर देश कड़े से कड़े कदम उठा रहा है. दुनिया की आधी आबादी इस वक्त अपने घरों में कैद है. इस बीच हंगरी में कुछ ऐसा हुआ है जो यूरोपीय संघ के देशों के लिए चिंता का सबब बन सकता है. सोमवार को हंगरी की संसद ने पूर्ण बहुमत से सरकार को असीमित अधिकार दे दिए हैं. प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का कहना है कि कोरोना से निपटने के लिए वे बेरोकटोक काम करना चाहते हैं.
इसी पर चिंता व्यक्त करते हुए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा कि वे मानती हैं कि महामारी से निपटने के लिए यूरोपीय संघ को अभूतपूर्व कदम उठाने की जरूरत है लेकिन "मुझे इस बात की चिंता है कि कुछ कदम बहुत ज्यादा ही कड़े हैं और मैं खास कर हंगरी की स्थिति को लेकर चिंतित हूं."
नए इमरजेंसी कानून के तहत जब तक कोरोना संकट खत्म नहीं हो जाता सरकार के पास असीमित शक्तियां हैं. संकट खत्म हुआ है या नहीं, यह तय करने का अधिकार भी सरकार के ही पास होगा. इतना ही नहीं इमरजेंसी के दौरान सरकार या कोरोना से जुड़ी किसी भी तरह की "फेक न्यूज" छापने पर पत्रकारों को कैद हो सकती है.
सरकार के प्रवक्ता जोल्टान कोवाच ने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश पोस्ट करते हुए इमरजेंसी की आलोचना का खंडन किया. ओरबान सरकार पर लग रहे आरोपों को उन्होंने "विच हंट" का नाम दिया. कोवाच ने कहा कि फॉन डेय लाएन की प्रतिक्रया "दोहरे राजनीतिक मानदंडों की मिसाल है". बुधवार को यूरोपीय संघ के 13 देशों ने एक साझा बयान जारी कर कहा था कि वे "कुछ आपातकालीन कदमों के चलते लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों के हनन को लेकर चिंतित हैं." हालांकि इस बयान में कहीं भी हंगरी का जिक्र नहीं किया गया था.
तब तक यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष भी हंगरी का नाम लेने से बचती नजर आ रही थीं. मंगलवार को एक बयान में उन्होंने कहा था कि यूरोपीय संघ में जो भी कदम उठाए जाएं, वे सीमित हों और वे किसी भी हाल में अनिश्चित काल के लिए नहीं हो सकते. लेकिन 13 देशों के बयान के ठीक एक दिन बाद उन्होंने साफ साफ हंगरी का नाम लेते हुए अपनी चिंताएं व्यक्त की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "जैसा कि हम अतीत में करते रहे हैं, हम आगे भी जरूरी कार्रवाई करेंगे." उन्होंने कहा कि आयोग "स्थिति का ब्यौरा ले रहा है."
इसके जवाब में हंगरी के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि उसे इमरजेंसी कानून की जांच से कोई ऐतराज नहीं है लेकिन ऐसा कोरोना संकट के खत्म हो जाने के बाद ही किया जाना चाहिए. बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र और मानवाधिकार के मुद्दों से लोगों को बांटने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए "खास कर ऐसे वक्त में जब यूरोपीय संघ को एकता और एकजुटता की बहुत ज्यादा जरूरत है."
आईबी/एए (एएफपी, डीपीए)
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