हंगामे के बीच आसियान बैठक फिर टली
११ अप्रैल २००९प्रदर्शनकारी बैठक स्थल में बैरीकेंडिंग तोड़कर घुस आए और मीडिया सेंटर में जमकर उत्पात मचाया. आसियान देशों के प्रतिनिधियों को हैलीकॉप्टरों की मदद से सुरक्षित निकाल लिया गया और इलाक़े में इमरजेंसी लगा दी गयी है. थाईलैंड के मशहूर टूरिस्ट स्थल पट्टाया में खुशनुमा माहौल के बीच आसियान की बैठक शुरू ही हुई थी कि हंगामा शुरू हो गया. जैसी की आशंका थी पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा के समर्थक लाल कमीज़ें पहने सैकड़ो की तादाद में बैठक स्थल के पास जमा हो गए. बताया जाता है कि नीली कमीज़ पहने सरकार समर्थक भी वहां जमा थे. उन्होंने कुछ उकसाने वाली बातें विरोधी पक्ष की तरफ़ उछाली. फिर क्या था देखते ही देखते आसियान का बैठक स्थल उत्पात और हंगामें से घिर गया. बताया जाता है कि दोनो पक्षों के बीच हिंसक झड़प भी हुई और घटनास्थल पर गोलियों की आवाज़ों भी सुनायीं दी.
हंगामे के बीच लाल कमीज़ धारियों ने नाकाबंदी तोड़ दी मीडिया सेंटर में घुस गए और वहां तोड़फोड़ कर दी. वे सीटियां बजा रहे थे, झंडे लहरा रहे थे और नारेबाज़ी कर रहे थे.
सुरक्षा बल उन्हें खदेड़ने दौड़े लेकिन बाद में उन्होने मुख्य समारोह स्थल की घेराबंदी करना ही उचित समझा जहां आसियान देशो के प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. उनके नेता अरिसमान पोंगरुआनग्रोंग का कहना है कि सरकार संसद भंग करे और 1997 के संविधान के हिसाब से नए चुनाव कराए. फिर अगर अभिसीत जीते तो ही उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार किया जा सकता है. वरना नहीं.
बताया जाता है आसियान की बैठक से पहले करीब दस हज़ार आंदोलनकारी पट्टाया में जमा हो चुके थे. थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता थानी थोंगफाकडी ने बताया कि प्रधानमंत्री अभिसीत वेजाजीवा ने सभी नेताओं से मुलाकात की और घटनाक्रम पर अफ़सोस जताया. उनके मुताबिक सबकी सहमति से आसियान को स्थगित करने का फ़ैसला किया गया और हालात पर काबू पाने के लिए इमरजेंसी लगा दी गयी है.
आसियान में पूर्वी एशिया के दस देश शामिल हैं. और चीन, भारत दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजी़लैंड पर्यवेक्षक देशों के रूप में आते हैं. भारत की तरफ़ से वाणिज्य मंत्री कमलनाथ इस बैठक के लिए आए थे. इस बार की बैठक इसलिए भी अहम थी क्योंकि इसमें आसियान देश चीन के साथ एक बड़ा निवेश करार करने वाले थे और इसके अलावा अपने व्यापारिक फ़ैलाव को और मज़बूत करने की रणनीति भी यहां बनने वाली थी. दिसंबर 2008 में भी बैठक टालनी पड़ी थी और इसीलिए एजेंसियों के मुताबिक आसियान बैठक में आए प्रतिनिधि हैरान थे कि सरकार ने क्या जानते बूझते ये सब होने दिया और वो क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी रही.
रिपोर्ट- एजेंसियां, एस जोशी
संपादन-आभा मोंढे