हर साल चुड़ैल बता कर 200 महिलाओं का कत्ल
२७ जुलाई २०१०झारखंड में जनजातीय समूहों के गरीब गांव ही नहीं उड़ीसा और हरियाणा के साथ ही दक्षिण भारतीय राज्य आंध्रप्रदेश में भी इस तरह की घटनाएं बहुत होती हैं. रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केंद्र (आरएलइके) के मुखिया अवधेश कौशल बताते हैं कि ज्यादातर पीड़ित अकेली रहने वाली विधवा महिलाएं हैं जो ज़मीन या संपत्ति के लिए निशाना बनाई जाती हैं.
इन महिलाओं को बहुत बेरहमी से सार्वजनिक रूप से कत्ल किया जाता है. पहले इन्हें पेशाब पीने या फिर मानव मल खाने तक के लिए विवश किया जाता है. इसके बाद लोगों के सामने नंगा करके पूरे गांव में घुमाया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल 200 महिलाओं की हत्या इसी तरह कर दी जाती है.
ज्यादातर मामलों में महिलाएं खुद ही शर्मसार होकर आत्महत्या कर लेती हैं. 200 का आंकड़ा आरएलइके की झारखंड में रिसर्च के साथ ही दूसरे राज्यों की पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है. अवधेश कौशल कहते हैं कि पिछले 15 बरसों में ढाई हज़ार से ज्यादा महिलाओं को डायन बता कर मार डाला गया.
झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में डायन बताकर हत्या के खिलाफ कानून भी बनाया गया लेकिन इसका पालन शायद ही कभी होता है. अगर इस मामले में किसी को दोषी करार दे भी दिया जाए सबसे बड़ी सज़ा मात्र तीन महीने के क़ैद की है. आरएलइके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन महिलाओं की संख्या पता लगाने की अपील की है जिन्हें डायन होने के आरोप में मारा जाता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः वी कुमार