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हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं: चिदम्बरम

५ अगस्त २०१०

कश्मीर में भारी असंतोष, भारत विरोधी और आजादी के समर्थन में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारत सरकार ने चेतावनी दी है कि बेपरवाह तरीके से प्रदर्शनों के जरिए और लोग हताहत होंगे. दो महीनों में 45 लोगों की हो चुकी है मौत.

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तस्वीर: AP

संसद में भारत के गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने अपील की है कि कश्मीरी जनता को चाहिए कि वे अपने युवा बेटों को कर्फ्यू तोड़कर प्रदर्शनों का हिस्सा बनने से इनकार करें. "तुम्हारे बच्चों की सुरक्षा और देखरेख हमारे लिए भी बेहद अहम है, ठीक वैसे ही जैसे यह बात आपके लिए है. बिना सोचे समझे हिंसा पर उतारू हो जाना और सार्वजनिक सम्पत्ति को जलाने से कोई फैसला नहीं होगा. इसके विपरीत, इन प्रदर्शनों से लोग घायल होते हैं, कुछ की मौत होती है. ऐसी घटनाओं से बचा जाना चाहिए."

अब तक हिंसक प्रदर्शनों में 45 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें से अधिकतर सुरक्षा बलों की गोलियों का निशाना बने हैं. पिछले हफ्ते ही 28 लोग सुरक्षकर्मियों की गोली से मारे गए. पिछले दो साल में यह पहली बार है जब कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. भारत विरोधी प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों के तेवर एक जैसे ही रहे हैं.

गर्माते नारों के बीच वे हिंसक रूप धारण कर लेते हैं और पुलिस और सरकारी संपत्तियों को पत्थरों के जरिए टकराते हैं. जून महीने में आंसू गैस के गोले से एक युवक की मौत हो गई थी जिसके बाद से विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थम थम कर फिर जोर पकड़ता है. पिछले एक हफ्ते में ही 28 लोग मारे जा चुके हैं.

Pakistan SAARC Gipfel
तस्वीर: AP

चिदम्बरम ने जोर देकर कहा है कि पथरावबाजी की बढ़ती घटनाओं के बावजूद सुरक्षा बलों ने अब तक संयम बरता है. पथराव के चलते सिर्फ दो महीनों में एक हजार से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. फायरिंग में मारे जाने वाले अधितकर कम उम्र के हैं. चिदम्बरम ने भरोसा दिलाया है कि एक बार घाटी में शांति और स्थिरता कायम होने पर वह राजनीतिक प्रक्रिया को फिर शुरू करने की कोशिश करेंगे.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी अलगाववादी ताकतें विरोध प्रदर्शनों को हवा दे रही हैं लेकिन स्थानीय लोग इन प्रदर्शनों को लोगों की भावना से जुड़ा बताते हैं. उनका कहना है कि बरसों की हताशा बाहर निकलने का रास्ता तलाश रही है क्योंकि लोग सुरक्षा बलों और पुलिस के उत्पीड़न का शिकार होते हैं.

कश्मीर के सबसे प्रभावशाली कट्टरपंथी नेता सैयद अली गिलानी ने बुधवार को कश्मीर के सभी नेताओं से अनुरोध किया कि लोगों को आंदोलन जारी रखना चाहिए लेकिन उसमें हिंसा का पुट नहीं होना चाहिए. गिलानी के मुताबिक, "विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने चाहिए. जहां आपको रोका जाए, आप बैठ जाइए और उन्हें कह दीजिए कि अब आप हमारे ऊपर गोलियां चला सकते हैं. लेकिन आप हिंसा में शामिल न हों.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम