1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
कारोबार

हो गया ब्रेक्जिट - अब असली मुश्किल शुरू

३० जनवरी २०२०

यूरोपीय संसद में ब्रेक्जिट समझौते के अनुमोदन के साथ ही ईयू से ब्रिटेन के तलाक की कार्रवाई पूरी हो गई. 31 जनवरी की मध्यरात्रि से ब्रिटेन ईयू से बाहर होगा. आगे का रास्ता कैसा होगा, देखिए.

https://p.dw.com/p/3X3T1
UK Nordirland Skulptur in der Grenzstadt Derry
तस्वीर: picture-alliance/XinHua/H. Yan

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का ब्रिटेन को ईयू से बाहर निकालने का वादा 31 जनवरी को पूरा होगा. लेकिन साढ़े तीन साल तक खिंचे यूरोपीय संघ से उसके तलाक की खुशी मनाने का उनके पास ज्यादा वक्त नहीं होगा. इस पूरे घटनाक्रम ने ना केवल ब्रिटिश जनता का भरपूर ध्रुवीकरण किया है बल्कि ब्रिटिश राजनीति को गहराई तक बदल दिया है. एक फरवरी से लंदन और ब्रसेल्स के बीच नए सिरे से वार्ताओं का दौर शुरु होगा ताकि भविष्य के संबंधों की रूपरेखा तैयार की जा सके.

ब्रिटेन के पास 2020 के अंत तक का समय है जिस संक्रमण काल में वह ईयू के साझा बाजार का हिस्सा बना रहेगा. इस समय सीमा तक ब्रिटेन को कारोबारी, रक्षा, ऊर्जा, यातायात और डाटा समेत तमाम अहम मामलों पर समझौते करने होंगे. प्रधानमंत्री जॉनसन कह चुके हैं कि उनके लिए 11 महीने का समय काफी है जिसमें वह "जीरो टैरिफ, जीरो कोटा" सिद्धांत पर आधारित ट्रेड डील कर लेंगे, जिसका उन्होंने वादा किया था.

Brexit-Vertrag im Europaparlament gebilligt
29 जनवरी को ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद से ब्रिटेन की विदाई के पल. तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kappeler

अगर नया समझौता नहीं हो पाता है तो ऐसी कानूनी स्थिति बनेगी जिसमें 2021 से ईयू और ब्रिटेन के बीच के व्यापारिक संबंधों पर विश्व व्यापार संगठन के नियम लागू हो जाएंगे. इसके अंतर्गत व्यापारिक संबंधों में सभी तरह के आयात शुल्क और कंट्रोल की फीस चुकानी होगी. ईयू के ब्रेक्जिट सलाहकार स्टेफान डि रिंक ने कहा है कि 31 दिसंबर से पहले आम सहमति पर पहुंचना पिछले अक्टूबर में ब्रेक्जिट समझौते की शर्तों पर सहमत होने से ज्यादा मुस्किल होगा.

ईयू के साथ व्यापार समझौता करने में आमतौर पर देशों को कई कई साल लगते हैं. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि इतने कम समय में व्यापार समझौते के रूप में ज्यादा कुछ हासिल नहीं किया जा सकेगा.

आसानी और तेजी से कोई समझौता तभी संभव है जब ब्रिटेन ज्यादा से ज्यादा ईयू के नियमों के करीब रहने को राजी हो. लेकिन लंदन की चिंता है कि अगर ब्रिटेन ईयू के नियमों पर चला तो उसके लिए विश्व के दूसरे देशों के साथ व्यापार समझौते करना कठिन होगा, खासकर अमेरिका के साथ.

वहीं ईयू ने भी साफ किया है कि निष्पक्ष प्रतियोगिता की गारंटी के बिना वह ब्रिटेन से कोई समझौता नहीं करेगा क्योंकि वह उनका नजदीकी, बड़ा और शक्तिशाली पड़ोसी है. निष्पक्ष प्रतियोगिता की गारंटी का मतलब होगा एक जैसे पर्यावरण और श्रम मानकों का पालन करना, ताकि ब्रिटेन ब्लॉक के सदस्यों को बहुत कम कीमतों में कोई उत्पाद बेचने की हालत में ना हो.

एक समझौते पर सहमति बनाने के लिए असल में दोनों पक्षों के पास केवल अक्टूबर तक का ही समय है क्योंकि उसके बाद उस समझौते का ईयू की 23 आधिकारिक भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा और साल खत्म होने से पहले उसे ईयू संसद में भी पास करना होगा.

आरपी/एमजे (रॉयटर्स)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore