अंतरिक्ष की सफाई का अभियान शुरू हो रहा है
२७ नवम्बर २०२०क्लियरस्पेस नाम की इस कंपनी को उम्मीद है कि वह 2025 में एक खास सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजेगी जो पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे कचरे के टुकड़ों को जमा करेगा. फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में बेकार हो चुके सेटेलाइट और दूसरी तरह के कचरे के हजारों टुकड़े पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं. इनके फिलहाल वहां काम कर रहे सेटेलाइटों और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से टकराने का खतरा भी है.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) के महानिदेशक यान वोएर्नर ने बीते दिसंबर में इस मिशन का एलान करते हुए कहा था, "कल्पना कीजिए, समंदर में चलना कितना खतरनाक होगा अगर इतिहास में गुम हुए सारे जहाज पानी में अब भी मंडरा रहे हों."
क्लियरस्पेस के संस्थापक और सीईओ ने भी चेतावनी दी है कि खतरा और बढ़ेगा क्योंकि आने वाले सालों में "सैकड़ों यहां तक कि हजारों सेटेलाइट" भेजने की योजना है. उनके मुताबिक यह जरूरी है कि नाकाम हुए सेटेलाइटों को बेहद भीड़ वाले इलाके से हटा कर बाहर निकाला जाए.
कैसे होगी सफाई?
अंतरिक्ष की सफाई का पहला मिशन क्लियरस्पेस-1 अंतरिक्ष में 112 किलो के एक बेकार हो चुके रॉकेट के टुकड़े से निश्चित जगह पर मिलेगा. रॉकेट के इस टुकड़े को वेस्पा कहा जा रहा है. 2013 में एक सेटेलाइट को अंतरिक्ष तक पहुंचाने में इसने मदद की थी. ईएसए का कहना है कि इसकी मजबूत संरचना के कारण शुरुआत के लिए यह अच्छा साबित होगा. इसके बाद की मिशनों में ज्यादा मुश्किल चीजों और फिर कचरे के ढेर को साफ किया जाएगा.
वेस्पा तक पहुंचने के बाद क्लियर स्पेस-1 इसे पृथ्वी की कक्षा से खींच कर बाहर ले जाएगा ताकि वातावरण में पहुंचने के बाद यह खुद ही जल कर खत्म हो जाए.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी का कहना है कि अंतरिक्ष से कचरा खुद साफ करने के लिए तरीका विकसित करने की बजाए क्लियरस्पेस को भुगतान करने से ईएसए काम का नया तरीका निकालेगा. एजेंसी अपनी विशेषज्ञता और पहले मिशन के लिए भुगतान करेगी. स्विस कंपनी बाकी का खर्च कारोबारी निवेशकों से हासिल करेगी.
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