लगातार दूसरी तिमाही में आर्थिक मंदी
१२ नवम्बर २०२०देश में आर्थिक मंदी के होने की बात लंबे समय से कही जा रही है. आरबीआई पहली बार तकनीकी रूप से मंदी की बात इसलिए कह रहा है क्योंकि लगातार दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी बढ़ने की जगह घटी है. आरबीआई ने पहले कहा था कि 2019-20 वित्त वर्ष में अप्रैल से जून की पहली तिमाही में जीडीपी लगभग 24 प्रतिशत गिरी थी.
ताजा रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने बताया है कि जुलाई से सितंबर की दूसरी तिमाही में भी जीडीपी का घटना जारी रहा और यह 8.6 प्रतिशत गिरी. इस रिपोर्ट को लिखने वाले अर्थशास्त्रियों ने कई संकेतकों को देखा, जिनमें कंपनियों द्वारा अपने खर्चों को कम करना, बिक्री का गिरना, गाड़ियों की बिक्री, आम लोगों का बैंक खातों में ज्यादा पैसे डालना इत्यादि जैसी गतिविधियां शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालाबंदी की वजह से पूरी तरह से बंद हो गई आर्थिक गतिविधियां जब फिर से शुरू हुईं तो उद्योग क्षेत्र के हालात कुछ सुधरे लेकिन सेवा क्षेत्र उस तरह का प्रदर्शन नहीं दिखा पाया. खुदरा व्यापार, यातायात, होटल, रेस्त्रां जैसे क्षेत्र जिनमें लोगों के बीच संपर्क ज्यादा होता है, उन्होंने ने अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ी है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालात धीरे धीरे सुधर रहे हैं और अगर यह सुधार जारी रहा तो अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में वृद्धि देखने को मिल सकती है. हालांकि चेतावनी भी दी गई है कि महंगाई भी बढ़ रही है और नीतिगत हस्तक्षेप में लोगों का विश्वास गिर रहा है.
इसके अलावा कई देशों में कोरोनावायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के आने की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी वृद्धि की संभावनाओं को धक्का लगा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चिंता का एक बड़ा विषय है कि घरों और कंपनियों दोनों पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है और यह दबाव वित्तीय क्षेत्र पर भी असर डाल सकता है.
करोड़ों लोगों की नौकरी जाने से लोगों ने खर्च कम कर दिए हैं और पैसों को बचाने पर ज्यादा ध्यान लगाना शुरू कर दिया है. प्रारंभिक अनुमान दिखा रहे हैं कि जो घरेलू बचत अप्रैल-जून 2019 में जीडीपी के 7.9 प्रतिशत पर थी वो अप्रैल-जून 2020 में बढ़कर 21.4 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसमें से अधिकतर बचत बैंक खातों में की गई है.
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