1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
साहित्य

कुर्ट तुखोल्स्की: राइन्सबर्ग

आयगुल चिमचियोग्लू
१२ दिसम्बर २०१८

एक दूसरे के प्यार में डूबे दो शहरी चालबाज, बिना शादी किए एक साथ रहने एक रिसॉर्ट की ओर रवाना होते हैं. उस दौर में यह बात पूरी तरह उकसावा थी. सहज, मस्त और हल्के अंदाज वाली ये एक प्रेम कहानी है.

https://p.dw.com/p/39vPG
Kurt Tucholsky / Portraetaufnahme um 1908
तस्वीर: picture-alliance/akg-images

किसी को कतई उम्मीद नहीं थी कि कुर्ट तुखोल्स्की इस तरह की किताब लिखेंगे. निश्चित रूप से किसी को भी नहीं. युवा पत्रकार तुखोल्स्की अपनी तीखी और धारदार लेखन शैली के लिए विख्यात थे. उन्हें इस एवज एक समय मौत की धमकियां भी मिलने लगी थीं. 1912 में उन्होंने ये संवेदनशील कहानी लिखी थी.

राइन्सबर्ग एक पतली छोटी सी किताब है, जिसमें ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली बयार जैसी शीतलता है और एक खिलंदड़ी विरोधाभास वाली प्रच्छन्नता.

अपनी गर्लफ्रेन्ड के साथ देहात में एक रोमांटिक वीकेंड बिताने के बाद, तुखोल्स्की ने सिर्फ दो महीने में ये किताब लिख डाली. 

प्यार में डूबे दीवानों के लिए एक समर रिसॉर्ट

उपन्यास में उनकी प्रतिछवि का नाम वोल्फगांग है. तेज गर्मियों के दिन हैं. बड़े शहर की भागमभाग से पीछा छुड़ाकर भाप ईंजन वाली रेलगाड़ी से वो अपनी प्रियतमा क्लेयर के साथ, राइन्सबर्ग नाम की एक आरामदेह जगह को निकल जाता है. अगले तीन रोज, वे वही करते हैं जो अक्सर प्यार में डूबे लोग करते ही हैं: एक दूसरे के लिए लालायित होते हैं, अपना समय बाहर बिताते हैं, चुहलबाजी करते हैं, और एक दूसरे के लिए उनकी चाहत कभी खत्म नहीं होने पातीं. 

"वे चमकते सूरज के नीचे घास के मैदान पर हाथ पांव फैलाकर लेटे हुए थे, जिसके ऊपर दिन की उष्णता में हवा कांप रही थी. खामोशी..."

उस दौर में, किसी अनब्याहे जोड़े के लिए इस तरह सैरसपाटे पर निकल जाना अटपटा माना जाता था. लिहाजा अभागे प्रेमी छद्म नामों "श्री और श्रीमती गामबेट्टा" का इस्तेमाल करते हैं. मजाक मजाक में वे उस दौर की नैतिक धारणाओं की धज्जियां उड़ा देते हैं. 

ये किताब विल्हेमवादी बुर्जुआ के पाखंड को तुखोल्स्की का जवाब था. न जाने कितने प्रकाशकों ने पांडुलिपि को छापने से मना कर दिया था. फिर भी उनका उपन्यास आखिरकार एक संपूर्ण बेस्टसेलर बना.

BdT Deutschland Herbst Schloss in Rheinsberg
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Settnik

वजूद का हल्कापन

अपनी कहानी को तुखोल्स्की ने "प्रेमियों की एक चित्र-पुस्तक" बताया था. और ये सच है, इसमें सस्पेंस का पारंपरिक घुमाव नहीं है. बल्कि ये कहानी उन सुरम्य आशुचित्रों की एक श्रृंखला से गठित हुई है जो उजड्ड बयानों और विडंबनापूर्ण वृत्तांत के जरिए परस्पर जुड़े हुए हैं.

नन्हा वोल्फगांग अपनी प्रियतमा को समझाता है कि दुनिया कैसे काम करती है और नन्ही क्लेयर अपने मुंहफट अंदाज में उसका मजाक उड़ाती है. इस किताब में हर चीज हल्की और हवादार है, मोहब्बत भी और कुदरत भी.

"क्षितिज पर चौंधिया देने वाली सफेद जगमगाहट थी...क्या ये भूदृश्य एक सुंदरता है? नहीं, पेड़ों का झुरमुट मामूली सा था; दूर की पहाड़ियां एक छोटे से जंगल को छिपाती थीं और दूसरे को जाहिर करती थीं- फिर भी इस बात पर कोई सामान्यतः आनंदित हो सकता था कि ये सब वहां था...."

राइन्सबर्ग के रूप में कुर्ट तुखोल्स्की ने जर्मन साहित्य की सबसे सुंदर प्रेम कहानियों में से एक लिखी थी. इसका झिलमिलाता हल्कापन सौ साल बाद भी पाठकों को रिझाता है. आज भी, राइन्सबर्ग की बजरी की पगडंडियों पर प्यार में डूबे जोड़ों को, अपनी कांख में तुखोल्स्की की किताब दबाए चलते हुए देखा जा सकता है.

कुर्त तुखोल्स्की: राइन्सबर्ग, बर्लिनिका, 1912

कुर्ट तुखोल्स्की का जन्म 1890 में बर्लिन में हुआ था. एक व्यंग्यकार, कवि, उपन्यासकार, पत्रकार और वेल्टब्युह्ने (विश्व मंच) साप्ताहिक के सह-संपादक के रूप में उन्हें ख्याति मिली. वाइमार गणराज्य के वो प्रमुख बुद्धिजीवियों में एक थे. 1924 में वो विदेश में रहने चले गए. 1933 में नाजियों ने उनकी रचनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया. और उनकी जर्मन नागरिकता छीन ली. 1935 में तुखोल्स्की ने स्वीडन में अपने घर पर दवाओं का ओवरडोज ले लिया, गोएटेबुर्ग अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ा.