खून की नदियां बहा देंगे: गद्दाफी
३ मार्च २०११पश्चिमी देशों को लीबिया से दूर रहने की चेतावनी देते हुए गद्दाफी ने कहा, ''हम अमेरिकी दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे. यह एक खूनी युद्घ को जन्म देगा. अगर अमेरिका और नाटो यहां आया तो हजारों लीबियाई मारे जाएंगे.'' दो हफ्ते बाद गद्दाफी पहली बार खुले रूप से जनता के सामने आए. भाषण सुनने वालों में सब उनके समर्थक ही थे.
देश की अशांति को पहले अल कायदा से जोड़ने वाले गद्दाफी अब तेल कूटनीति की बात कर रहे हैं. उनके मुताबिक लीबिया के तेल पर दूसरे देशों की नजर है इसीलिए साजिश की जा रही है. चेतावनी भरे लफ्जों में गद्दाफी बोले, ''हम मरते दम तक लड़ेंगे, आखिरी आदमी तक, आखिरी औरत तक, अल्लाह की मदद से. लाखों लीबियाई मेरा समर्थन कर रहे हैं. वो मेरे लिए मरने के तैयार हैं. अल्लाह, मुअम्मर और लीबिया.''
लीबिया ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी हलचल और बढ़ा दी हैं. अमेरिका विरोधी वेनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज ने गद्दाफी से बातचीत की है. ट्विटर पर बातचीत की जरा सी जानकारी देते हुए वेनेजुएला के संचार मंत्री आंद्रेस इजारा ने कहा, ''हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि कमांडेंट चावेज ने गद्दाफी से लीबिया में शांति पर बातचीत की है.''
अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पहले ही लीबिया पर कई प्रतिबंध लगा चुका है. लेकिन गद्दाफी पर इनका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. बुधवार को अमेरिकी विदेशी मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने एक बार फिर लीबिया की चर्चा की. क्लिंटन ने कहा कि, ''लीबिया को लेकर हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि वहां स्थिति बिगड़ती जा रही है और लीबिया में सोमालिया जैसे हालात बनते जा रहे हैं.'' उन्होंने आशंका जताई कि सोमालिया के बाद अब लीबिया आतंकवाद का गढ़ बन रहा है.
अफ्रीकी देश लीबिया में ट्यूनीशिया और मिस्र की क्रांति के बाद सत्ता विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. लीबिया में बीते 42 साल से 67 साल के मुअम्मर गद्दाफी शासन कर रहे हैं. लेकिन बीते दो हफ्तों से देश भर में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. गद्दाफी का नियंत्रण सिर्फ देश के पूर्वी हिस्से तक सिमट चुका है. वहां भी सेना की मदद से वह किसी तरह अपना किला बचाए हुए हैं. प्रदर्शनकारियों पर बमबारी की जाने लगी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल