जकरबर्ग के लिए 'सॉरी' कहना बहुत आसान है
२३ मई २०१८ये कुछ उस तरह का प्रोग्राम था जिसे देखने के बाद आपका मन करता है कि आप जोर से चीखें और अपना टीवी उठा कर खिड़की से बाहर फेंक दें. मंगलवार को जब यूरोपीय संसद में मार्क जकरबर्ग की पेशी हुई, तो सांसदों ने दिखाया कि वे कितने कमजोर हो सकते हैं. उन्हें सवाल करने थे - डाटा के गलत इस्तेमाल पर, चुनावों में हस्तक्षेप पर, फेक न्यूज, साइबर बुलिंग और टैक्स की चोरी पर. लेकिन बजाए इसके कि वे साफ साफ ठोस सवाल करते, उन्होंने बस अपना गुरूर दिखाया. वे अपने अहम को सहलाते हुए नजर आ रहे थे. 90 मिनट का समय था, जिसमें ज्यादातर वे खुद ही अपनी टिप्पणियां दे रहे थे या फिर सवालों को खींचते चले जा रहे थे. हाई प्रोफाइल लोगों की जांच करने का यह कोई तरीका नहीं है. यूरोपीय संसद के नेताओं को अपनी संजीदगी दिखानी चाहिए थी. सांसदों ने एक बड़ा मौका खो दिया और खुद हंसी के पात्र बन गए हैं.
जकरबर्ग की माफी महज शब्दों से बढ़ कर कुछ नहीं रह गई है. पिछले एक दशक में फेसबुक के पास लोगों के निजी डाटा का एकाधिकार हो गया है. फिर भी जब भी कभी डाटा चोरी का मामला दुनिया के सामने आता है, तो जकर्बर कोट पैंट पहन कर सॉरी बोलने आ जाते हैं और कहते हैं - हमारा यह मतलब नहीं था, भविष्य में हम ध्यान रखेंगे. उन्होंने भोलाभाला दिखने में भी महारत हासिल कर ली है. हर बार वे फेसबुक के शुरुआती दिनों और हार्वर्ड के हॉस्टल के कमरे के किस्से सुनाने लगते हैं.
लेकिन ये आदमी अब अरबपति बन चुका है और ठीक तरह से कोई भी नहीं जानता कि ये कर क्या रहा है. उसका बिजनेस मॉडल ही लोगों के निजी डाटा को बेच कर मुनाफा कमाने पर आधारित है. और भले ही वह बार बार हमें सुनिश्चित कराता है कि डाटा की चोरी को रोकेगा लेकिन सच्चाई यह है कि फेसबुक का मुनाफा भोले भाले यूजर्स के डाटा के आधार पर विज्ञापन बेचने पर ही तो टिका है. अमेरिका में अब चेहरे की पहचान करने वाले फीचर की भी बात चल रही है और इसके लिए लोगों से अनुमति भी नहीं ली गई है. इस तरह की संभावनाओं की कोई सीमा नहीं है.
लेकिन जब यूरोपीय सांसद जकरबर्ग को यह मौका दें कि वह अपने हिसाब से चुने कि किस सवाल का जवाब देना है और किसका नहीं, तो मतलब साफ है कि वे उसे हाथ से निकलने दे रहे हैं. कैम्ब्रिज एनेलिटिका द्वारा डाटा के गलत इस्तेमाल के बारे में जकरबर्ग ने कहा कि कंपनी ने 200 ऐप को ब्लॉक कर दिया है. पर साथ ही यह भी कहा कि इस बात की कोई जिम्मेदारी नहीं है कि भविष्य में फिर ऐसा नहीं होगा. और जब सवाल ठोस होने लगे, जैसे व्हट्सऐप और फेसबुक के एक दूसरे से जुड़े होने पर, तो जकरबर्ग कुछ और ही जवाब देने लगे. इस बीच फेसबुक के कुछ पुराने कर्मचारियों ने अपनी नौकरी छोड़ दी है, तो कुछ ने इस बारे में किताबें लिखी हैं कि लोग खुद को इंटरनेट में कैसे सुरक्षित रखें.
निजता एक जरूरी मानवाधिकार है और उसे जकरबर्ग जैसे बिजनेस टाइकून के भरोसे छोड़ा नहीं जा सकता. इसीलिए राजनीतिक प्रतिबंधों की जरूरत है. जकरबर्ग का कहना है कि प्रतिबंध लगाने से नए आइडिया की छूट खत्म हो जाती है. जकरबर्ग को हमने बहुत वक्त दिया और उनकी यह दलील अब बेतुकी लगती है, बल्कि अब तो इससे उन पर और भी शक पैदा होता है.
इस हफ्ते से यूरोपीय संघ का जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन लागू होगा. यह एक अहम कदम है. लेकिन हमें इंटरनेट कंपनियों पर लगाम कसने के लिए और कानूनों की जरूरत है. जब जकरबर्ग कहते हैं कि उनकी कंपनी इस सब के लिए जरूरी टैक्स भरती है, तो दुर्भाग्यवश यह बात भी सही है. यूरोपीय देशों ने उन्हें टैक्स बचाने में बहुत मदद की है. वक्त आ गया है कि अब इसे रोका जाए और ऐसा सिर्फ तब ही मुमकिन हो पाएगा, जब यूरोपीय संघ उन पर सख्त प्रतिबंध लगाएगा.