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डरावनी हो चुकी है समुद्रों की हालत

२३ सितम्बर २०२१

एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 41 सालों में जर्मनी के आकार से छह गुना ज्यादा आर्कटिक की बर्फ पिघल गई. इससे पूरी दुनिया में समुद्रों का सतह नाटकीय रूप से बढ़ा है.

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तस्वीर: Isabela Le Bras/AP/picture alliance

कॉपरनिकस मरीन एनवायरनमेंटल मॉनिटरिंग सर्विस की पांचवीं सालाना रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के समुद्रों की हालत बदतर होती चली जा रही है. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए यूरोपीय आयोग ने 150 वैज्ञानिकों को जिम्मेदारी सौंपी थी.

इन वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में यह दिखाने की कोशिश की है कि मानवीय हस्तक्षेप की वजह से समुद्र कितनी जल्दी बदल रहे हैं. सबसे बुरा परिणाम यह हुआ है कि समुद्रों के गर्म होने और बर्फ के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.

आने वाले परिणाम

भूमध्य-सागर में यह वृद्धि सालाना 2.5 मिलीमीटर और दुनिया के बाकि हिस्सों में 3.1 मिलीमीटर तक की दर से दर्ज की जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2019 में वेनिस में जो बाढ़ आई थी वो आने वाले परिणामों का उदाहरण है. वेनिस में पानी का स्तर 1.89 मीटर तक ऊपर चला गया था.

Eisbär in der schmelzenden Arktis
आर्कटिक की पिघलती हुई बर्फ पर दौड़ता हुआ एक पोलर भालूतस्वीर: Brent Stephenson/Nature Picture Library/Imago Images

समुद्रों के गर्म होने से समुद्री जीव-जंतु और ठंडे पानी की तरफ प्रवास कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ प्रजातियों की तो आबादी ही घट रही है. 1979 से लेकर 2020 के बीच में आर्कटिक ने इतनी बर्फ खो दी जो जर्मनी के कुल आकार से छह गुना ज्यादा मात्रा में थी.

1979 से ले कर अब तक बर्फ 12.89 प्रतिशत कम हुई है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर आर्कटिक की समुद्री बर्फ इसी तरह पिघलती रही तो इससे इस इलाके में तापमान और बढ़ सकता है, आर्कटिक के तटों में और कटाव हो सकता है और पूरी दुनिया में मौसम से जुड़े और बदलाव आ सकते हैं.

अभूतपूर्व तनाव

रिपोर्ट में इस पर भी ध्यान दिलाया गया है कि उत्तरी समुद्र में गर्मी और ठंड की लहरों की वजह से जो चरम बदलाव देखे जा रहे हैं उनका मछली पालन में हो रहे बदलाव से सीधा संबंध है. इसमें सोल मछली, यूरोपीय लॉब्स्टर, सी बेस और खाने वाले केकड़ों का जिक्र किया गया है.

NASA | Meeresoberflächenströmungen im Pazifik
पृथ्वी की सतह का अधिकांश हिस्सा समुद्र के नीचे हैतस्वीर: NASA/Goddard Space Flight Center

रिपोर्ट के साथ संलग्न एक बयान में ओशन स्टेट रिपोर्ट की अध्यक्ष करीना फॉन शुकमान ने कहा, "जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अति उपभोग ने समुद्र को अभूतपूर्व तनाव में डाल दिया है."

उन्होंने बताया कि पृथ्वी की सतह का अधिकांश हिस्सा समुद्र के नीचे ही है और समुद्र पृथ्वी की जलवायु का नियंत्रण करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र को बेहतर समझने और उसमें हो रहे बदलावों के प्रति कदम उठाने के लिए सही और सामयिक निगरानी बेहद जरूरी है.

कॉपरनिकस यूरोपीय संघ का अर्थ ऑब्जरवेशन कार्यक्रम है. इसका लक्ष्य है सैटेलाइट की मदद और दूसरे तरीकों से जमीन, समुद्रों और वायुमंडल की हालत पर और जलवायु परिवर्तन और उसके परिणामों पर लगातार नजर बनाए रखना.

सीके/एए (डीपीए)

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