महामारी ने भारत में 7.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेला
अमेरिकी संस्था पिउ रिसर्च ने कोरोना वायरस महामारी के भारतीय परिवारों पर असर का आकलन किया है. पिउ की रिपोर्ट आंकड़ों के जरिए उस असर को दिखाने की कोशिश कर रही है जिसका अभी तक सिर्फ अंदेशा था.
बद से बदतर
पिउ के मुताबिक महामारी की वजह से हुए आर्थिक नुकसान ने 2020 में संभावित 7.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया. जनवरी 2020 में पिउ का अनुमान था कि उस साल भारत में गरीबी दर 4.3 प्रतिशत रहेगी, लेकिन मुमकिन है कि साल का अंत होने तक यह दर 9.7 प्रतिशत पर चली गई होगी.
गरीबी की चपेट में
महामारी से पहले अनुमान था कि 2020 में भारत में गरीबों की संख्या 5.9 करोड़ होगी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि संख्या इसके दो गुना से भी ज्यादा 13.4 करोड़ पर पहुंच गई है. पिउ का शोध विश्व बैंक के आंकड़ों पर आधारित है.
क्या आप जी सकते हैं रोज 150 रुपए पर?
संस्था ने भारत को पांच समूहों में बांटा है. प्रतिदिन दो डॉलर यानी करीब 150 रुपए से भी कम पर रहने वाले गरीब, प्रतिदिन दो से 10 डॉलर के बीच की राशि पर रहने वाले कम आय वाले लोग, 10 से 20 डॉलर के बीच की राशि पर रहने वाले मध्यम आय वाले लोग, 20 से 50 डॉलर के बीच वाले उच्च-मध्यम आय वाले लोग और 50 डॉलर से ज्यादा पर रहने वाले उच्च आय वाले लोग.
घटता मध्यम वर्ग
पिउ का अनुमान है कि महामारी ने भारत के मध्यम वर्ग से भी 3.2 करोड़ लोगों को नीचे धकेल दिया. महामारी के पहले अनुमान था कि 2020 में भारत के मध्यम वर्ग की आबादी लगभग 9.9 करोड़ होगी, लेकिन अब यह अनुमान एक-तिहाई घट कर 6.6 करोड़ पर आ गया है.
अमीरों पर भी असर
पिउ के मुताबिक उच्च आय वाले लोगों की संख्या में भी करीब 10 लाख की गिरावट आई. इसके अलावा उच्च मध्यम आय श्रेणी में 70 लाख, मध्यम आय श्रेणी में 3.2 करोड़ और कम आय वाले लोगों की संख्या में करीब 3.5 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई.
विकास पर असर
गरीबी दर बढ़ने का मतलब है गरीबी घटाने के दशकों लंबे प्रयासों से मिली थोड़ी-बहुत सफलता का धूमिल हो जाना. मध्यमवर्ग के घटने के मायने हैं भारत में खपत का कम होना जिसका असर आने वाले सालों में देश की अर्थव्यवस्था के विकास पर पड़ सकता है.
चीन में हालात बेहतर
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की तुलना में चीन में हालात बेहतर हैं. वहां 2020 में गरीबी का स्तर लगभग पहले जैसा ही रहा और मध्यम आय वाले लोगों की आबादी में सिर्फ एक करोड़ की गिरावट आई. लेकिन चीन में उच्च आय वाले लोगों की संख्या में करीब 30 लाख, यानी भारत से ज्यादा, की गिरावट आई. उच्च मध्यम आय श्रेणी में भी भारत से ज्यादा और कम आय वाले लोगों की संख्या में भारत के आस-पास ही गिरावट दर्ज की गई.