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समाज

बिहार में वायरल बुखार से दर्जनों बच्चों की मौत

मनीष कुमार
९ सितम्बर २०२१

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच पूरे बिहार में वायरल फीवर से बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) हो या जिलों के सदर अस्पताल मरीजों में सर्वाधिक संख्या बच्चों की है.

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तस्वीर: DW/M. Kumar

पिछले एक माह में राज्य में वायरल फीवर की चपेट में आकर 25 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है, वहीं कई गंभीर अवस्था में इलाजरत हैं. राजधानी पटना के सभी बड़े अस्पतालों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) तथा नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (नीकू) में बेड भर चुके हैं, जबकि मौसमी बीमारी या वायरल फीवर से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

उत्तर बिहार के जिले खासकर मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी व सारण के अलावा गया, भागलपुर व खगड़िया में स्थिति ज्यादा खराब है. आंकड़ों के अनुसार मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) तथा केजरीवाल अस्पताल में बीते एक पखवाड़े में 2500 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंचे. दोनों अस्पतालों में दो सौ से अधिक बच्चे भर्ती हैं और करीब सौ बच्चे रोजाना यहां पहुंच रहे हैं.

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मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल में औसतन करीब आठ सौ मरीज आ रहे हैं जिनमें लगभग तीन सौ मरीज वायरल बुखार के हैं. दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) में इसी अवधि में लगभग 2,300 बच्चों का इलाज किया गया जबकि 15 बच्चों की वायरल फीवर से मौत हो गई. यहां करीब सवा सौ से अधिक बच्चे प्रतिदिन आ रहे हैं.

बीते पंद्रह दिनों में शिवहर में 300, पश्चिम चंपारण में 750, समस्तीपुर में 1,100, मधुबनी में 550 तथा पूर्वी चंपारण में 2,000 से अधिक बच्चे विभिन्न अस्पतालों की ओपीडी में आ चुके हैं. ऐसे बीमार बच्चों की संख्या हरेक दिन बढ़ती ही जा रही है.

कोरोना या चमकी बुखार नहीं

सारण जिले के अमनौर प्रखंड के सिरसा खेमकरण गांव में बुखार से पीड़ित दो बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें रामचंद्र राम की साढ़े तीन साल की पुत्री लक्ष्मी कुमारी तथा बहाल राम आठ वर्षीय बच्ची नंदिनी शामिल है. 18 बच्चों की हालत स्थिर बनी हुई है.

गांव वालों का कहना है कि अभी करीब 60 बच्चे तेज बुखार से पीडि़त हैं. इस महादलित बस्ती में बीते चार-पांच दिनों में करीब दो दर्जन बच्चे तेज बुखार की चपेट में आए हैं. सारण के सिविल सर्जन सुकुमार प्रसाद ने कहा है कि किसी में चमकी बुखार की पुष्टि नहीं हुई है, बच्चों को वायरल फीवर ही है जिसका इलाज चल रहा है.

खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड के वोबिल पंचायत में छह बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं. इन बच्चों की बीमार होने के महज तीन दिनों के अंदर मौत हो गई, इन्हें बार-बार मूत्र भी आ रहा था. स्थानीय चिकित्सकों ने इन्हें चमकी बुखार या एईएस होने से इनकार किया है.

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भागलपुर के अस्पताल में 50 बच्चे भर्ती हैं जबकि गोपालगंज में एक बच्चे की मौत के बाद स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं हैं. गया के मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ओपीडी में भी निमोनिया पीड़ित बच्चे काफी संख्या में आ रहे हैं. यहां औरंगाबाद तथा नवादा जिले से भी बीमार बच्चे पहुंच रहे हैं. सिविल सर्जन डॉ. के. के. राय के अनुसार, ‘‘जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी निमोनिया पीड़ित बच्चों के आने की संख्या तेजी से बढ़ी है. करीब एक से तीन वर्ष के बच्चे ज्यादा पीड़ित हैं.''

एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने भी कोरोना की तीसरी लहर से साफ इन्कार करते हुए कहा, ‘‘यह वायरल बुखार है, जिसके अलग-अलग रूप होते हैं. जलजमाव व गर्मी इसकी मुख्य वजह है. यह हर साल होता है, यह कोरोना नहीं है. जब बुखार अधिक होता है तो सांस लेने में तकलीफ होती है और ऑक्सीजन लेवल थोड़ा नीचे आ जाता है. इसलिए ऑक्सीजन लगाना पड़ता है.''

एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. बिनोद कुमार सिंह के अनुसार, ‘‘मानसून से संबंधित बीमारियों की वजह से अस्पताल आने वाले बीमार बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई है. शिशु वॉर्ड में 84 बेड उपलब्ध हैं पर अभी 87 बच्चों का इलाज किया जा रहा है. सुकून की बात है कि कोविड का कोई केस नहीं हैं.''

आरएस वायरस से बीमारी की आशंका

राज्य में बीमार पड़ रहे बच्चों की रोजाना बढ़ती संख्या देख स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना है. इन मामलों की जांच के लिए टीम का गठन किया गया है, जो प्रभावित जिलों में जाकर स्थिति की समीक्षा के साथ-साथ बुखार के कारणों को जानने का भी प्रयास करेगी. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने कहा है कि बच्चों को सामान्य अधिक आ रहे बुखार पर विभाग की नजर है.

इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. रंजीत कुमार के अनुसार, ‘‘पहली नजर में आरएस वायरस से ही बच्चों के बीमार होने की बात सामने आ रही है.'' इधर, मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच पहुंची टीम किसी खास निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी. हालांकि, निपाह वायरस के कारण बीमारी की आशंका पर जांच का निर्णय लिया गया.

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