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अफगानिस्तान भी पाक-चीन कॉरिडोर में शामिल होगा?

२६ दिसम्बर २०१७

चीन और पाकिस्तान अपनी 57 अरब डॉलर की आर्थिक कॉरिडोर परियोजना में अफगानिस्तान को भी शामिल करना चाहते हैं. भारत का अहम सहयोगी अफगानिस्तान क्या इस प्रोजेक्ट में शामिल होगा?

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Pakistan Hafen Gwadar
तस्वीर: picture-alliance/dpa

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि अफगानिस्तान को चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर परियोजना में शामिल करने की कोशिश होगी. 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद से ही उसके रिश्ते पड़ोसी अफगानिस्तान के साथ सहज नहीं रहे हैं. चीन दोनों देशों के बीच मध्यस्थ बनने की कोशिश करता रहा है ताकि बातचीत और संवाद को बढ़ावा दिया जा सके.

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हाल के समय में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में खासी कड़वाहट आई है. अफगानिस्तान का आरोप है कि पाकिस्तान तालिबान चरमपंथियों का समर्थन कर रहा है ताकि वह अफगानिस्तान में अपने प्रतिद्वंद्वी भारत के बढ़ते असर को कम कर सके. उधर पाकिस्तान चरमपंथियों का समर्थन करने के आरोप से पूरी तरह इनकार करता है. उसका कहना है कि वह अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता देखना चाहता है.

बीजिंग में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग ने कहा कि आर्थिक कॉरिडोर परियोजना से पूरे क्षेत्र का फायदा हो सकता है और इससे विकास का ढांचा तैयार होगा.

चीनी विदेश मंत्री ने कहा है कि अफगानिस्तान में विकास करने की तत्काल जरूरत है और उम्मीद है कि वह इस परियोजना में शामिल हो सकता है. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान की इच्छा है कि अफगानिस्तान इस परियोजना में शामिल हो क्योंकि यह सबके लिए लाभ की स्थिति है. वांग के मुताबिक अफगानिस्तान को शामिल करने के लिए तीनों देशों के बीच आम सहमति कायम की जा सकती है.

इस मौके पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान और चीन तो "आयरन ब्रदर्स" हैं. हालांकि उन्होंने अफगानिस्तान के कॉरिडोर परियोजना में शामिल होने का कोई जिक्र नहीं किया. 

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चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर परियोजना में पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर को सड़क मार्ग के जरिए चीन के कशगर से जोड़ा जाएगा. पाकिस्तान को उम्मीद है कि इससे उसके यहां विकास का बड़ा बुनियादी ढांचा तैयार होगा. पाकिस्तानी नेता इस प्रोजेक्ट को अपने लिए "गेमचेंजर" मानते हैं. हालांकि कई आलोचक कहते हैं कि पाकिस्तान चीन का गुलाम बनता जा रहा है.

आसिफ ने कहा, "सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर) को सफलतापूर्वक लागू करने से इसी तरह के प्रोजेक्ट्स के जरिए अफगानिस्तान, ईरान और मध्य और पश्चिमी एशियाई देशों के बीच कनेक्टिविटी और सहयोग को मजबूत करने का एक मॉडल हमारे सामने होगा."

भारत सीपीईसी परियोजना का विरोध करता है क्योंकि यह पाकिस्तानी नियंत्रण वाले कश्मीर से होकर गुजरता है जिस पर दोनों देशों के बीच विवाद है. भारत इस हिस्से पर दावा करता है. हालांकि चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि इस परियोजना का क्षेत्र संबंधी विवादों से कोई लेना देना नहीं है.

दुनिया को जोड़ने निकला है चीन

चीन पाकिस्तान और अफगानिस्तान को एक दूसरे करीब लाने के लिए सक्रिय रहा है. उसे डर है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान से फैलने वाले इस्लामी आतंकवाद से उसके शिनचियांग इलाके में अशांति बढ़ सकती है जहां पहले से ही तनाव है.

चीन चाहता है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं ताकि अपने यहां हिंसा से बेहतर तरीके से निपट पाएं. चीनी विदेश मंत्री ने अफगान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत का भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि चीन इस बारे में जरूरी सहयोग देता रहेगा.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर परियोजना चीन के महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन एशिया, यूरोप और मध्यपूर्व की अर्थव्यवस्थाओं को रेल, सड़क और समुद्री मार्गों के जरिए जोड़ना चाहता है.

एके/एनआर (रॉयटर्स)